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रायपुर नगर निगम की सख्त कार्रवाई: अवैध डेयरी सील, भैंसों को संचालक के गांव भेजा गया

रायपुर। नगर निगम जोन-9 की टीम ने गुरुवार को कुशाभाऊ ठाकरे वार्ड क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित डेयरी पर कार्रवाई करते हुए संचालक की भैंसों को उसके गांव टेकारी भेज दिया। इस डेयरी के खिलाफ लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं। यह डेयरी पूर्व पार्षद सुशीला धीवर के घर के पास चल रही थी, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वर्तमान में इस क्षेत्र के पार्षद एमआईसी सदस्य खेमकुमार सेन हैं, जिनके आश्वासन पर निगम ने कार्रवाई की।

दलदल सिवनी स्थित डेयरी से 10 भैंसों को जब्त कर वाहन के माध्यम से संचालक के गांव भेजा गया। इस दौरान थोड़ी देर के लिए विवाद की स्थिति भी बनी, लेकिन नगर निगम की टीम ने नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए अपनी कार्यवाही पूरी की और मौके से लौट गई। निगम अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि शहर में अवैध डेयरियों के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा।

शहरी क्षेत्र में डेयरी संचालन प्रतिबंधित है
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, डेयरी फार्म या गोशालाएं शहर की सीमा से कम से कम 200 मीटर और नदी, तालाब, अस्पताल या शिक्षण संस्थानों से 500 मीटर दूर स्थापित की जानी चाहिए। फिलहाल शहर के भीतर लगभग 50 से अधिक डेयरियां संचालित हो रही हैं, जिनमें से कई को पहले ही नोटिस और चेतावनी दी जा चुकी है।

कई डेयरी संचालकों को मिल चुकी है चेतावनी
जोन-7 के स्वास्थ्य अधिकारी भोला तिवारी ने बताया कि संबंधित संचालक को पहले ही डेयरी शहर से बाहर शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। लगातार मिल रही शिकायतों और चेतावनी के बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो निगम को हस्तक्षेप करना पड़ा।

भारी जुर्माना और सख्ती
नगर निगम ने पिछले वर्ष की कार्रवाई के दौरान 25 से 45 हजार रुपये तक का जुर्माना भी डेयरी संचालकों पर लगाया था। इस अवधि में 20 से अधिक कार्रवाई की गईं और सभी संचालकों को स्पष्ट चेतावनी दी गई थी। स्वास्थ्य अधिकारी तृप्ति पाणीग्रही की कार्रवाई के दौरान भी विरोध की स्थिति बनी थी, जिसके बाद चेतावनी देकर कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

अगस्त में भी हुई थी सख्ती
पिछले साल अगस्त में नगर निगम द्वारा 25 से अधिक डेयरी संचालकों की बैठक लेकर उन्हें स्वयं अपनी डेयरियां शहर से बाहर शिफ्ट करने की चेतावनी दी गई थी। यह बैठक अपर आयुक्त राजेंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि यदि स्वयं से डेयरी नहीं हटाई गई, तो निगम सख्त कार्रवाई करेगा।

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