छत्तीसगढ़ में वाहनों की बेतहाशा बढ़ोतरी, सड़क हादसों ने बढ़ाई चिंता
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय (साल 2000) में वाहनों की संख्या महज 78,376 थी। लेकिन बीते 24 वर्षों में यह आंकड़ा 11 गुना से अधिक बढ़कर 80 लाख के पार पहुंच गया है। परिवहन विभाग के अनुसार, हर साल औसतन 7.5 लाख नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। इससे न केवल यातायात दबाव बढ़ा है, बल्कि सड़क हादसों में भी चिंताजनक इजाफा हुआ है।
सड़कों पर वाहनों की भारी भीड़ और अव्यवस्थित ट्रैफिक के कारण शहरों में पैदल चलने की जगह भी सिमटती जा रही है। इस वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिनमें जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है। वहीं, सड़कों की संख्या और उनकी लंबाई में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं होने से हालात और भी गंभीर हो गए हैं।
साल 2024 में भयावह आंकड़े
पिछले साल प्रदेश में 12,600 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें करीब 14 हजार लोग घायल और 6,753 लोगों की मौत हुई। रायपुर जिले में ही 500 से ज्यादा लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई। चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा केवल दर्ज मामलों का है — असंख्य हादसे थाने तक पहुंचने से पहले ही सुलझा लिए जाते हैं।
इन दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत मौतें दोपहिया वाहनों से जुड़ी रहीं, खासतौर पर युवाओं की। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं – बिना हेलमेट बाइक चलाना, कार में सीट बेल्ट न लगाना, नशे में ड्राइविंग और अत्यधिक स्पीड।
वाहनों की बढ़ोतरी के आंकड़े
वर्ष | वाहन पंजीकरण संख्या |
---|---|
2000 | 78,376 |
2010 | 16,58,592 |
2025 | 80,00,000+ (मार्च तक) |
हादसों के प्रमुख कारण
- ट्रैफिक नियमों की अनदेखी
- तेज गति से वाहन चलाना
- पैदल यात्रियों की लापरवाही
- वाहन में तकनीकी खामियां (जैसे- रिफ्लेक्टर या मिरर का न होना)
- खराब सड़कें, अतिक्रमण और अवैध पार्किंग
दोपहिया वाहनों पर मौत का खतरा ज्यादा
छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों से होने वाली मौतों में सबसे अधिक 69.63% मामले मोटरसाइकिल चालकों या सवारों के हैं। इसके बाद पैदल यात्री (15.48%) और ट्रैक्टर से जुड़े हादसे (3.43%) आते हैं। वहीं, दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे के बीच सबसे ज्यादा 43% दुर्घटनाएं होती हैं।
इस बढ़ते खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त ट्रैफिक नियमों के साथ-साथ सड़क नेटवर्क और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।
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