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May 23, 2025

वेब न्यूज़ पोर्टल संघर्ष के स्वर

"संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है।"

“तीन बार भारत ने पार किया पाक बॉर्डर, चीन की टेक्नोलॉजी पर उठे सवाल – एयर डिफेन्स फेल, भारत को मिला बढ़त का EDGE”

“तीन बार भारत ने पार किया पाक बॉर्डर, चीन की टेक्नोलॉजी पर उठे सवाल – एयर डिफेन्स फेल, भारत को मिला बढ़त का EDGE”

बीते कुछ वर्षों में भारत ने तीन बार पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किया है—और हर बार उसने अपनी सैन्य क्षमताओं से न केवल पाकिस्तान को बल्कि उसके रणनीतिक साझेदार चीन को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।

पहली बार यह हुआ 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान, जब भारत ने पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया। दूसरी बार, वर्ष 2022 में सिरसा से गलती से दागी गई एक BrahMos मिसाइल पाकिस्तानी पंजाब के खानेवाल जिले में जा गिरी। और तीसरी बार, बीती रात भारत ने 9 अलग-अलग ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह सैन्य कार्रवाई ऐसे समय में हुई जब पाकिस्तान की सेना पूर्णतः वॉर टाइम अलर्ट पर थी—उसके एयर डिफेन्स सिस्टम्स सक्रिय थे, लेकिन फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

यह सिर्फ पाकिस्तान के लिए शर्म की बात नहीं है, बल्कि चीन के लिए भी बड़ा झटका है। चीन ने पाकिस्तान को HQ-9 और LY-80 जैसे एयर डिफेन्स सिस्टम दिए हैं, जो रूस के S-300 और S-400 सिस्टम पर आधारित हैं, लेकिन सीमित रेंज और कम क्षमताओं के साथ। इसके बावजूद ये सिस्टम एक भी भारतीय फाइटर या मिसाइल को ट्रैक या इंटरसेप्ट नहीं कर पाए।

चीन खुद को तकनीकी महाशक्ति कहता है, लेकिन उसकी असली ताकत केवल दो क्षेत्रों में है—रीवर्स इंजीनियरिंग और बड़े पैमाने पर उत्पादन। गुणवत्ता, नवाचार और युद्ध-प्रसंगिक विश्वसनीयता के क्षेत्र में चीन बार-बार असफल साबित हो रहा है।

इसके विपरीत भारत की रक्षा क्षमताएं लगातार मजबूत हुई हैं। भारत के पास S-400 एयर डिफेन्स सिस्टम (400 किमी रेंज), स्वदेशी PAD और AAD इंटरसेप्टर मिसाइलें, मध्यम रेंज की आकाश प्रणाली (जो आर्मेनिया को एक्सपोर्ट भी की गई है), और इजराइल के सहयोग से विकसित Barak-8 व Spyder जैसे एडवांस्ड सिस्टम हैं। ये सभी मिलकर एक Comprehensive Defence Shield तैयार करते हैं।

हवाई ताकत की बात करें तो भारत के पास Rafale, Sukhoi-30 MKI, और Mirage-2000 जैसे युद्धक विमान हैं, जिनका रिकॉर्ड चीन की डिफेंस लाइन तोड़ने में प्रभावी रहा है। वहीं BrahMos जैसी सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को आज भी कोई देश आसानी से इंटरसेप्ट नहीं कर सकता।

इस घटनाक्रम ने एक बात स्पष्ट कर दी है—चीन की कथित टेक्नोलॉजी सुपीरियरिटी का भ्रम अब टूट चुका है, और भारत को रणनीतिक बढ़त हासिल हो चुकी है। अब भारत न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि प्रतिस्पर्धा में आगे भी है।


 

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