रायपुर। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की सफलता की कहानियां देशभर में सामने आ रही हैं, और रायपुर की 23 वर्षीय ईशा पटेल इसका एक प्रेरणादायक उदाहरण बनी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिल्ली स्थित अपने आवास पर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर के चुनिंदा सफल उद्यमियों से संवाद किया। इस मौके पर रायपुर की युवा उद्यमी ईशा पटेल ने भी हिस्सा लिया और अपनी उद्यमिता की यात्रा साझा की।
ईशा ने बताया कि उन्हें बचपन से खाना बनाने का शौक था, और इसी शौक को उन्होंने व्यवसाय में बदलने का सपना देखा। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बिना किसी जमानत के लोन लेकर उन्होंने ‘हाउस ऑफ पुचका’ नाम से रायपुर में अपना कैफे शुरू किया। उन्होंने कहा कि मुनाफे और खाद्य लागत प्रबंधन पर रिसर्च और मेहनत की बदौलत उनका व्यवसाय सफल हुआ।
युवाओं में जोखिम लेने की कमी
प्रधानमंत्री मोदी ने ईशा की कहानी को सराहते हुए कहा कि उन्होंने कम उम्र में ही साहसिक निर्णय लेकर अपने सपनों को साकार किया। उन्होंने युवाओं को जोखिम लेने की भावना विकसित करने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की सलाह दी।
ईशा ने बातचीत में कहा कि आज भी कई युवा सिर्फ नौकरी को सुरक्षित विकल्प मानते हैं और जोखिम लेने से कतराते हैं। उन्होंने अपील की कि युवा वर्ग सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाएं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में पहल करें।
“अगर चाह है, तो राह भी मिलेगी”
पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में युवा उद्यमियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “अगर किसी के अंदर आगे बढ़ने की सच्ची चाह हो, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।”
ईशा ने बताया कि उनके बनाए भोजन की तारीफ करते हुए लोगों ने उन्हें कैफे खोलने की सलाह दी थी। जब उन्होंने फंडिंग की जानकारी जुटाई, तो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ उठाया और अपने कैफे की नींव रखी। आज ‘हाउस ऑफ पुचका’ एक सफल कैफे बन चुका है।
ईशा ने युवाओं से रिसर्च, सही योजना और साहसिक कदमों के जरिए अपने सपनों को साकार करने की अपील की।
सीएम साय ने की सराहना
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी ईशा पटेल की प्रधानमंत्री मोदी से हुई बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “आसमान की कोई सीमा नहीं होती।”
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत अब तक देशभर में 52 करोड़ से अधिक ऋण वितरित किए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि 33 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह योजना लाखों लोगों के लिए आत्मनिर्भरता की राह खोल चुकी है।
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