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Private School Fees Hike 2025: निजी स्कूलों की मनमानी – किताबें, यूनिफॉर्म सब महंगे, माता-पिता परेशान

बिलासपुर। Private School Fees Hike 2025: नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत के साथ ही निजी स्कूलों में फीस, किताबें, स्टेशनरी और यूनिफॉर्म की कीमतों में भारी वृद्धि हो गई है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है। स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को केवल कुछ निश्चित दुकानों से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य कर रहा है, जिससे इन सामग्रियों की कीमतों में अनाप-शनाप बढ़ोतरी हो रही है।

प्री-नर्सरी कक्षा की सालाना फीस 15,000 से 25,000 रुपये तक पहुंच गई है, जो मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बड़ी चिंता का कारण बन गई है। बढ़ी हुई फीस और महंगी स्टेशनरी के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसके बावजूद, सरकार और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर चुप्प हैं, जिससे अभिभावकों में निराशा फैल गई है।

विरोध का डर: अभिभावक इस स्थिति का विरोध करने से डर रहे हैं, क्योंकि उन्हें चिंता है कि अगर वे इस मुद्दे पर आवाज उठाएंगे तो उनके बच्चों के साथ स्कूल में भेदभाव हो सकता है या उन्हें बाहर कर दिया जा सकता है। इस डर के कारण वे चुपचाप इस समस्या का सामना कर रहे हैं।

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं, जिसके कारण अभिभावक निजी स्कूलों का रुख करते हैं। हालांकि, अब बढ़ती फीस और अन्य खर्चों ने उन्हें दुविधा में डाल दिया है, क्योंकि वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बच्चों की शिक्षा जारी रखना कैसे संभव होगा।

महंगे दामों पर मजबूरी में खरीदारी: स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को विशेष दुकानों से किताबें और स्टेशनरी खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है, जहां कीमतें बहुत अधिक होती हैं। अगर कोई अभिभावक बाहर से सामान खरीदने की कोशिश करता है, तो स्कूल उसे मना कर देता है। दुकानदार भी पूरी किताबों का सेट लेने का दबाव बनाते हैं, जिससे अभिभावकों को मजबूरी में महंगे दामों पर सामान खरीदना पड़ता है। इसके अलावा, किताबें और यूनिफॉर्म हर साल या दो साल में बदल दी जाती हैं, जिससे अभिभावकों को लगातार अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ता है।

कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी: बिलासपुर में किताबों और यूनिफॉर्म की कीमतों में हो रही बेहिसाब बढ़ोतरी ने अभिभावकों को परेशान कर दिया है। निजी स्कूलों और दुकानदारों की मिलीभगत से आम जनता की जेब पर भारी असर पड़ा है। दुख की बात यह है कि कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे स्कूल प्रबंधन और दुकानदारों द्वारा की जा रही मनमानी पर कोई नियंत्रण नहीं है। हर साल बढ़ती कीमतें मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं।

प्रकाशकों की मिलीभगत: सरकंडा के अभिभावक बसंत जायसवाल का कहना है कि निजी स्कूल और प्रकाशकों के बीच साठगांठ है, जिसके चलते किताबों के दाम आसमान छू रहे हैं। सभी अभिभावक इस स्थिति से त्रस्त हैं और सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं।

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