जमीन रजिस्ट्री के साथ ही पंजीयक एवं उप पंजीयकों को नामांतरण(म्यूटेशन) की जिम्मेदारी होगी
छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि नामांतरण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य में जमीन की रजिस्ट्री होते ही स्वतः नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके लिए भूमि स्वामी को तहसीलदार या अनुभागीय अधिकारी के पास जाकर अलग से आवेदन देने की आवश्यकता नहीं होगी। यह व्यवस्था राजस्व मंत्री टंकाराम वर्मा की पहल पर लागू की गई है और इसके लिए राजस्व विभाग ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
अब तक रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की प्रक्रिया जटिल और समय लगने वाली थी, जिससे जनता को परेशानी होती थी और भ्रष्टाचार के भी कई मामले सामने आते थे। वर्तमान में रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के लगभग 42 हजार मामले लंबित हैं। नई व्यवस्था से इन मामलों को शीघ्र निपटाने में मदद मिलेगी।
राजस्व विभाग को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नामांतरण कराने और सरकारी व निजी जमीनों में हेराफेरी की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। कई बार फर्जी रजिस्ट्री कराकर नामांतरण भी करवा लिया जाता था। सरकार के इस फैसले से इन फर्जीवाड़ों पर भी रोक लगेगी और असली भूमि स्वामियों को सीधे अधिकार मिल सकेंगे।
राज्य सरकार ने भू-राजस्व संहिता 1949 की धारा 24 की उपधारा (1) और धारा 110 में संशोधन कर, पहले तहसीलदार के पास जो नामांतरण की शक्ति थी, वह अब रजिस्ट्रार या सब-रजिस्टार को सौंप दी है। इसका मतलब है कि जैसे ही रजिस्ट्री होगी, उसी के साथ नामांतरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, जिससे समय और प्रयास दोनों की बचत होगी।
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