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May 23, 2025

वेब न्यूज़ पोर्टल संघर्ष के स्वर

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छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस बना ‘मजबूर दिवस’, कार्टूनिस्ट सागर कुमार ने दिखाया कटु यथार्थ

 

छत्तीसगढ़ में इस बार 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर सामाजिक और श्रमिक संगठनों के बीच यह चर्चा जोरों पर रही कि मजदूर दिवस अब अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है। एक समय था जब यह दिन श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई और उनकी उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता था, लेकिन आज यह दिन श्रमिकों की विवशता का प्रतीक बनता जा रहा है। कार्टूनिस्ट सागर कुमार ने अपने तीखे व्यंग्य से इसे बखूबी दर्शाया है, जिसमें उन्होंने दिखाया कि कैसे छत्तीसगढ़ में मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और “मजदूर दिवस” अब “मजबूर दिवस” में तब्दील हो गया है।

प्रदेश में बड़ी संख्या में अनियमित कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और भविष्य की स्थिरता जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इसके बावजूद सरकार अनियमित व्यवस्था से लाभ उठाती नजर आ रही है। सवाल यह उठता है कि यदि अनियमित कर्मचारियों के माध्यम से सरकार को लाभ मिल रहा है, तो फिर क्यों न एक समान प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत सभी नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों को पांच वर्षों तक अनिवार्य रूप से अनियमित व्यवस्था में रखा जाए?

जैसे पुलिस विभाग में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में या डॉक्टरों को ग्रामीण इलाकों में सेवा देने की बाध्यता होती है, उसी तरह सरकार यदि चाहे तो एक नीति के तहत सभी विभागों के अधिकारियों को भी इसी तरह की जिम्मेदारी दे सकती है। इससे उन्हें भी उस दर्द का अनुभव होगा, जिससे वर्षों से अस्थायी कर्मचारी गुजर रहे हैं।

मजदूरों की यह पीड़ा केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की गूंज बनती जा रही है। यदि सरकारें वाकई में मजदूरों की स्थिति सुधारना चाहती हैं, तो उन्हें अस्थायी रोजगार, संविदा व्यवस्था और मजदूर विरोधी नीतियों पर पुनर्विचार करनाहो गा।

 

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