बिलासपुर: उंगलियों के निशान मिटने से योजनाओं से वंचित दिव्यांग किसान, दो साल से अफसरों के चक्कर काट रहे सुजान सिंह
सीपत क्षेत्र के दिव्यांग किसान सुजान सिंह बीते दो वर्षों से सिस्टम की संवेदनहीनता का शिकार बने हुए हैं। उम्र और एक हादसे के चलते उनकी उंगलियों के निशान मिट गए हैं, जिससे आधार सत्यापन नहीं हो पा रहा है। इस तकनीकी बाधा के कारण वे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि सहित कई सरकारी योजनाओं से वंचित हैं।
दिव्यांगता पेंशन भी नहीं मिल रही
फिंगरप्रिंट न मिलने से ई-केवाईसी अपडेट नहीं हो रहा, जिसके कारण सुजान सिंह को पीएम किसान सम्मान निधि की 11 किस्तें नहीं मिल सकीं। इतना ही नहीं, उन्हें जो दिव्यांगता पेंशन मिलनी चाहिए, उससे भी वे वंचित हैं। सुजान सिंह ने मस्तूरी के एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक जनदर्शन में कई बार आवेदन दिए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला, समाधान अब तक नहीं हुआ।
बैंकों के चक्कर, फिर भी कोई समाधान नहीं
पीड़ित किसान का कहना है कि वे अब तक जिला सहकारी बैंक, भारतीय डाकघर और एसबीआई शाखा में अपने परिजनों के साथ ई-केवाईसी अपडेट कराने के लिए गए, लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। वे अकेले ऐसे नहीं हैं, बल्कि कई अन्य बुजुर्ग और दिव्यांग भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं, जिनकी उंगलियों के निशान मिट चुके हैं।
“किसानों के नाम पर वोट, लेकिन वक्त पर कोई साथ नहीं”
सुजान सिंह का दर्द छलकता है। वे कहते हैं कि सरकारें चुनाव के वक्त किसानों के नाम पर वोट मांगती हैं, लेकिन जब उन्हें ज़रूरत होती है, तो वही किसान अकेला रह जाता है। चलने-फिरने में असमर्थ सुजान सिंह बिस्तर पर पड़े हैं, फिर भी प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा।
सिस्टम की चूक से टूटा भरोसा
सीपत और एनटीपीसी क्षेत्र के किसी भी बैंक या केंद्र में आंख की रेटिना स्कैन आधारित आधार सत्यापन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में वृद्ध और दिव्यांग किसानों के पास कोई विकल्प नहीं बचता, जिससे वे योजनाओं से पूरी तरह कट गए हैं।
सुजान सिंह ने 5 अगस्त 2023 को जनदर्शन में आवेदन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एसडीएम, कलेक्टर, ग्राम सेवक और कृषि विभाग को जानकारी देने के बावजूद भी उनके परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। यह सिस्टम की गंभीर चूक है, जिसने एक ज़रूरतमंद किसान का भरोसा तोड़ दिया है।
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