मुंबई आतंकी हमले की गूंज एक बार फिर देशभर में सुनाई दे रही है, वजह है 64 वर्षीय तहव्वुर राणा का भारत आगमन। करीब 17 साल पहले हुए इस खौफनाक हमले में 175 लोगों की जान गई थी। इस हमले के दो मास्टरमाइंड थे—तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली, जिनका असली नाम दाऊद सईद गिलानी है। दोनों बचपन के दोस्त हैं और पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट कॉलेज में एक साथ पढ़े थे। हेडली, जो अब अमेरिका की जेल में बंद है, पाकिस्तानी पिता और अमेरिकी मां का बेटा है।
हेडली को साल 2009 में डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य था और आतंक के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से उसकी गहरी नजदीकियां थीं। हेडली ने आतंकी ट्रेनिंग भी ली और भारत में हमलों की योजना बनाने के लिए उसका इस्तेमाल किया गया।
मुंबई में अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए हेडली ने तहव्वुर राणा की मदद से एक इमिग्रेशन फर्म की शाखा खोली और भारत आने के लिए वीजा भी उसी के जरिए हासिल किया। 14 सितंबर 2006 को उसने पहली बार मुंबई का दौरा किया और इसके बाद आठ बार भारत आया। उसने हमले से पहले मुंबई की कई जगहों की रेकी की, यहां तक कि नाव से समुद्री मार्गों की भी जांच की और बॉलीवुड से जुड़कर खुद को आम नागरिक के रूप में पेश किया।
हेडली की पर्सनैलिटी काफी प्रभावशाली थी। वो 6 फीट 2 इंच लंबा, लंबे सुनहरे बालों वाला, स्टाइलिश कपड़े पहनने वाला और आत्मविश्वास से भरा इंसान था। महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट के अनुसार, हेडली की एक आंख हरी और दूसरी भूरी थी, जो उसकी सबसे खास बात थी।
हालांकि, अब हेडली भारत नहीं आ सकता, क्योंकि उसकी अमेरिका की जांच एजेंसियों से डील हो चुकी है। उसने अमेरिका को लश्कर-ए-तैयबा और ISI से जुड़ी अहम जानकारी दी थी और इसके बदले में अमेरिका ने उसे भारत को प्रत्यर्पित न करने का वादा किया था। फिलहाल वह अमेरिका में अपनी सजा काट रहा है।
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