नई दिल्ली। देश में चुनाव प्रचार के तरीके तेजी से बदल रहे हैं और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका लगातार बढ़ रही है। इस बदलते परिदृश्य को देखते हुए चुनाव आयोग अब AI के दुरुपयोग को रोकने और इसके सुरक्षित व पारदर्शी इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए नई गाइडलाइंस तैयार कर रहा है। माना जा रहा है कि इसकी पहली झलक बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकती है।
सूत्रों के अनुसार, अब राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने AI जनरेटेड कंटेंट की जानकारी देनी होगी। आयोग की गाइडलाइंस में यह स्पष्ट किया जाएगा कि प्रचार में AI का इस्तेमाल कैसे और किन शर्तों के तहत किया जा सकता है। खासतौर पर फेक वीडियो, डीपफेक ऑडियो और गलत सूचना फैलाने वाली सामग्री पर सख्ती की जाएगी।
मतदाताओं को भ्रमित न कर सके AI
चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि AI तकनीक का उपयोग मतदाताओं को भ्रमित करने या उनकी पसंद को प्रभावित करने के लिए न किया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदाताओं की निजता और चुनाव की निष्पक्षता से कोई समझौता न हो।
लोकसभा चुनाव में AI का रिकॉर्ड स्तर पर उपयोग
फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनावों में भारत में AI का रिकॉर्ड 80% तक उपयोग हुआ। रिपोर्ट में 74 देशों में AI के चुनावी इस्तेमाल को ट्रैक किया गया, जिसमें भारत शीर्ष पर रहा।
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5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल्स AI के जरिए की गईं।
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उम्मीदवारों की आवाज में डीपफेक कॉल्स और प्रचार सामग्री तैयार की गई।
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प्रचार सामग्री 22 भाषाओं में बनाई गई, जिससे व्यापक क्षेत्र में प्रभाव डाला गया।
यह आंकड़ा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की तुलना में भी कहीं ज्यादा है, जहां AI का चुनावों में उपयोग क्रमश: 70% और 50% तक रहा।
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