भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को ‘इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार मैन्युफैक्चरिंग प्रमोशन स्कीम’ के विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए। उन्होंने बताया कि मर्सिडीज बेंज, स्कोडा-फॉक्सवैगन, हुंडई और किआ जैसी प्रमुख वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भारत में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण में गहरी रुचि दिखाई है।
मंत्री कुमारस्वामी के अनुसार, ये कंपनियां पहले ही सरकार के साथ हुई बातचीत के दौरान भारत में निवेश करने और उत्पादन इकाइयां स्थापित करने की इच्छा जता चुकी हैं। स्कीम को पिछले साल 15 मार्च को नोटिफाई किया गया था, लेकिन अब इसके दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जिससे कंपनियों के लिए आवेदन की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
क्या हैं स्कीम की प्रमुख बातें
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कम कस्टम ड्यूटी की सुविधा:
स्कीम के अंतर्गत आवेदन करने वाली कंपनियों को आवेदन की मंजूरी मिलने के बाद 5 साल तक 15 प्रतिशत की रियायती कस्टम ड्यूटी पर कम से कम 35,000 डॉलर के CIF मूल्य वाली पूरी तरह से निर्मित इलेक्ट्रिक कारों (CBU) के आयात की अनुमति दी जाएगी। -
न्यूनतम निवेश का प्रावधान:
स्कीम में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। आवेदन की अंतिम तिथि 120 दिन या उससे अधिक तक हो सकती है। मंत्रालय को 15 मार्च 2026 तक आवश्यकतानुसार आवेदन स्वीकार करने का अधिकार भी प्राप्त होगा।
टेस्ला का रुख अलग
जबकि कई वैश्विक कंपनियां भारत में निर्माण के लिए आगे आ रही हैं, वहीं अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला ने फिलहाल भारत में निर्माण इकाई स्थापित करने में रुचि नहीं दिखाई है। हालांकि, कंपनी देश में अपने शोरूम खोलने की इच्छुक है। मंत्री कुमारस्वामी ने यह भी स्पष्ट किया कि टेस्ला की प्राथमिकता फिलहाल बिक्री नेटवर्क तैयार करने की है।
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