छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार वर्ष 2007-2008 में धान उपार्जन केंद्रों में संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटरों की नियुक्ति की गई थी, जिन्होंने पिछले 18 वर्षों से शासन के धान खरीदी कार्य को लगातार और निष्ठा से निभाया है। वर्तमान में उन्हें वित्त निर्देश 16/2019 के अनुसार ₹18,420 मासिक संविदा वेतन प्रदान किया जा रहा है। बावजूद इसके, शासन की धान खरीदी नीति 2024-25 की कंडिका 11.3.3 के अंतर्गत 1 अप्रैल 2025 से इन्हें आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त करने का प्रस्ताव सामने आया है, जो न केवल गैर-तर्कसंगत है, बल्कि इन ऑपरेटरों के भविष्य पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
अपर प्रबंध संचालक, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारिता विपणन संघ मर्यादित, मुख्यालय नया रायपुर द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 हेतु GeM पोर्टल के माध्यम से आउटसोर्सिंग एजेंसी के ज़रिए डाटा एंट्री ऑपरेटरों की ई-निविदा 11 अप्रैल 2025 को जारी की गई, जिसे 12 अप्रैल 2025 को दैनिक भास्कर बिलासपुर में प्रकाशित कर 12 मई 2025 तक निविदा मांगी गई है।
इस निविदा प्रक्रिया से विगत 18 वर्षों से कार्यरत संविदा ऑपरेटरों का भविष्य संकट में आ गया है। जबकि ये सभी ऑपरेटर शासन द्वारा तय संविदा वेतनमान पर नियमित रूप से कार्यरत हैं और धान खरीदी व्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं।
इस निर्णय के विरोध में, संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने 21 मार्च 2025 को माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की, जिसमें आउटसोर्सिंग नीति को चुनौती दी गई है। उच्च न्यायालय ने इस पर संज्ञान लेते हुए 25 मार्च 2025 को राज्य शासन को 3 सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
हालांकि, 29 अक्टूबर 2024 को खाद्य मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के माध्यम से ऑपरेटरों को उनकी मांगों पर विचार का आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है।
18 वर्षों की सेवा के बाद संविदा ऑपरेटरों को दरकिनार करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि शासन की भरोसेमंद कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना अहम होगा कि उच्च न्यायालय के सामने शासन कौन सा तर्क प्रस्तुत करता है, और क्या संविदा ऑपरेटरों को उनका न्याय मिलेगा।
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