छत्तीसगढ़ में Tehsildar और Nayab Tehsildar ही धरने पर बैठे हैं. वे अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर में हड़ताल कर रहे है. लेकिन तहसीलदारों का ये अनिश्चितकालीन हड़ताल केवल सोमवार से शुक्रवार वर्किंग टाईम पर है और शनिवार-रविवार को हड़ताल की भी छुट्टी कर दी है.
Tehsildar धरने पर या छुट्टी के दिन हड़ताल की भी छुट्टी
Tehsildar और Nayab Tehsildar ने प्रदर्शन करते है. लेकिन शनिवार को यहां का स्टेज खाली था. जिसके बाद लल्लूराम डॉट कॉम ने तहसीलदारों से संपर्क किया तो पता चला कि आज तो हड़ताल की भी छुट्टी है.
नाम न छापने की शर्त पर एक पीड़ित ने कहा कि इसका तो सीधा मतलब है कि जनता परेशान होती रहे, उक्त पीड़ित ने कहा कि यदि सच में तहसीलदार जनता के हितों की चिंता है तो वे शनिवार-रविवार को आय-जाति प्रमाण पत्र के पेंडिंग काम ही निप्टाकर जनता को राहत दे, या अपनी मांगें पूरी होने तक धरना दें.
इस मामले में Tehsildar संघ का कहना है कि सरकारी छुट्टी के दिन संघ ने हड़ताल न किए जाने का फैसला किया था, यही कारण है कि वे शनिवार और रविवार को हड़ताल पर नहीं रहेंगे और सोमवार से पुनः हड़ताल पर बैठेंगे.
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संघ ने बताई शनिवार और रविवार को हड़ताल न करने की वजह
1. शासकीय कर्तव्य से पृथक दिवस:
शनिवार और रविवार को प्रशासनिक कार्य निष्पादित नहीं होते, चूंकि ये शासकीय अवकाश होते हैं. ऐसे में यदि इन दिनों में हड़ताल की जाती है, तो उसका कोई प्रभावकारी प्रशासनिक संदेश शासन तक नहीं पहुंचता.
2. लक्ष्य प्रभाविता पर केंद्रित रणनीति:
आंदोलन का उद्देश्य केवल विरोध दर्ज कराना नहीं, बल्कि शासन को कार्य बाधा का व्यावहारिक अनुभव कराना है. कार्यदिवसों में कार्य बहिष्कार का सीधा प्रभाव शासकीय व्यवस्था पर पड़ता है, जिससे आंदोलन का उद्देश्य सशक्त रूप से सामने आता है.
3. लोकहित की संवेदनशीलता:
संघ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि आंदोलन की आड़ में नागरिकों को अनावश्यक असुविधा न हो. अतः गैर-कार्यदिवसों में हड़ताल कर केवल प्रदर्शन की निरर्थकता से बचा जा रहा है.
4. नैतिक उच्चता और अनुशासन:
यह निर्णय संघ के उत्तरदायी, अनुशासित एवं संवेदनशील संगठन होने का परिचायक है, जो केवल विरोध नहीं, बल्कि समाधानोन्मुखी संवाद की भी पक्षधरता करता है.
Tehsildar संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वे ‘संसाधन नहीं तो काम नहीं’ के सिद्धांत पर कार्य करेंगे। उनका मानना है कि जब तक प्रशासनिक कामकाज के लिए आवश्यक संसाधन और स्टाफ उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, तब तक प्रभावी काम करना संभव नहीं है।
संघ की प्रमुख मांगों में यह शामिल है कि हर तहसील में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति की जाए, जिसमें कंप्यूटर ऑपरेटर, चपरासी, पटवारी और राजस्व निरीक्षक जैसे पदों की त्वरित पोस्टिंग आवश्यक है। इसके अलावा, डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की जा रही है।
वे चाहते हैं कि 50:50 का अनुपात—यानी आधी नियुक्तियां सीधी भर्ती से और आधी प्रमोशन के माध्यम से हों—दुबारा लागू किया जाए। तहसीलदार संघ का यह रुख प्रशासनिक सुधारों और कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
तहसीलदार संघ के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने कहा है कि लगातार संसाधनों और सुविधाओं की कमी के चलते तहसीलदारों को अपने कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना पर्याप्त स्टाफ, तकनीकी उपकरण और कार्यालयी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराए, जिम्मेदारियों का निर्वहन असंभव हो गया है।
उनका कहना है कि इसी कारण संघ को ‘संसाधन नहीं तो काम नहीं’ के सिद्धांत पर कार्य करने का निर्णय लेना पड़ा है। उन्होंने कहा, “अब हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी,” जो उनके दृढ़ संकल्प और संघर्ष को दर्शाता है।
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