सरकार ने लोकसभा में एक नया विधेयक पेश किया है, जिसके तहत यदि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार किया जाता है, या 30 दिनों से अधिक न्यायिक हिरासत में रखा जाता है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। इस विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
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विधेयक के मुख्य प्रावधान
- लागू होने का आधार: यह कानून उन अपराधों पर लागू होगा जिनमें 5 साल या उससे अधिक की जेल की सज़ा का प्रावधान है। इसका मतलब यह है कि छोटे-मोटे अपराधों पर यह नियम लागू नहीं होगा।
- पद का निलंबन: विधेयक के अनुसार, गिरफ्तारी या 30 दिन की न्यायिक हिरासत पूरी होने के बाद संबंधित प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को स्वतः ही अपने पद से निलंबित कर दिया जाएगा।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन: सरकार का कहना है कि यह विधेयक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) में संशोधन कर रहा है, ताकि सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों के लिए सख्त नियम बनाए जा सकें।
विपक्ष का कड़ा विरोध
इस विधेयक का विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध का हथियार बन सकता है और इसका दुरुपयोग करके विरोधी दलों के नेताओं को निशाना बनाया जा सकता है। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कदम संघीय ढांचे (federal structure) को कमजोर करेगा।
विपक्ष के भारी विरोध के बाद, सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया है। अब यह समिति विधेयक के सभी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस विधेयक पर देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
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