रायपुर, 14 अप्रैल – छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में व्यापारिक सुगमता को बढ़ावा देने और श्रमिकों के अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दुकान एवं स्थापना नियोजन एवं सेवा शर्त विनियमन अधिनियम 2017 तथा नियम 2021 को 13 फरवरी 2025 से लागू कर दिया है। यह अधिनियम भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित मॉडल शॉप ऐंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के अनुरूप तैयार किया गया है।
यह अधिनियम राज्य के नगरीय और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जहाँ 10 या अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। वहीं, 10 से कम या बिना श्रमिक वाले प्रतिष्ठानों को अधिनियम से पूर्णतः मुक्त रखा गया है, जिससे छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और स्वरोजगार में लगे उद्यमियों को जटिल श्रम कानूनों से राहत मिलेगी।
नए अधिनियम की सबसे बड़ी विशेषता है कि पंजीयन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। प्रत्येक व्यवसायी को लागू तिथि से छह माह के भीतर श्रम विभाग के पोर्टल (shramevjayate.cg.gov.in) पर पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। पंजीकरण के बाद डिजिटल हस्ताक्षर युक्त प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। किसी भी प्रकार के संशोधन या दुकान बंद करने की सूचना भी इसी पोर्टल के माध्यम से दी जा सकेगी।
यदि पंजीयन आवेदन के 15 दिनों के भीतर विभागीय पुष्टि नहीं होती है, तो डीम्ड रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू होगी, जिससे प्रक्रियाएं समयबद्ध रूप से पूरी होंगी।
श्रमिकों को नए अधिनियम के तहत अवकाश लाभ भी मिलेगा, जिसमें 8 दिन आकस्मिक अवकाश, 8 दिन त्यौहार अवकाश और अर्जित अवकाश शामिल हैं। महिला कर्मचारियों को रात्रिकालीन पाली में कार्य की अनुमति दी गई है, बशर्ते नियोजक सुरक्षा और आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करें।
सप्ताह के सभी दिनों में दुकान संचालन की अनुमति होगी, बशर्ते कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाए। राज्य सरकार आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय स्तर पर साप्ताहिक अवकाश घोषित कर सकती है।
यह अधिनियम व्यवसायियों को कार्यालय चक्कर से मुक्ति, समय और संसाधनों की बचत, और सरल विवाद समाधान की सुविधा प्रदान करता है। छोटे-मोटे उल्लंघनों पर अब न्यायालयीन कार्रवाई के स्थान पर समझौता शुल्क के माध्यम से समाधान का प्रावधान किया गया है।
इस अधिनियम के लागू होने से छत्तीसगढ़ में “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” नीति को मजबूती मिलेगी। यह न केवल लघु और मध्यम व्यापारियों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा, बल्कि महिला श्रमिकों की भागीदारी, संगठित क्षेत्र में श्रमिक अधिकारों की रक्षा, और नए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा। इससे राज्य सामाजिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से अधिक समावेशी और प्रगतिशील बनने की दिशा में अग्रसर होगा।
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