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November 27, 2025

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Marksheet Error : सरकारी स्कूल में लापरवाही छात्र की दो मार्कशीट, दो रिजल्ट

Marksheet Error , बिलासपुर। सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल सरकंडा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्ष 2006 की बोर्ड परीक्षा के लिए जारी एक छात्र—रवि कुमार यादव—की दो अलग-अलग मार्कशीट में विरोधाभासी अंक दर्ज पाए गए हैं। इस गड़बड़ी के खुलासे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने संबंधित प्राचार्य से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है।

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दो मार्कशीट में अलग-अलग परिणाम

छात्र रवि कुमार यादव के नाम से 2006 में जारी हुईं दो मार्कशीट में अंक और कुल परिणाम एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। एक मार्कशीट में छात्र उत्तीर्ण दिखाया गया है, तो दूसरी में अंक अलग और परिणाम भिन्न दर्ज है। इससे यह संदेह गहरा गया है कि या तो डाटा एंट्री के दौरान गंभीर चूक हुई है या फिर रिकॉर्ड प्रबंधन में लापरवाही बरती गई है।

DEO ने मांगा प्रतिवेदन

गड़बड़ी की सूचना मिलते ही जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल प्राचार्य से 48 घंटे के भीतर तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करने और विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा दस्तावेजों में इस तरह की अनियमितता बेहद गंभीर मामला है और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मामला पहुंचा कलेक्टर और संचालक शिक्षा विभाग तक

DEO ने इस घटना को गंभीर मानते हुए इसकी रिपोर्ट जिला कलेक्टर और संचालक, स्कूल शिक्षा विभाग को भी भेज दी है। उच्च अधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

जांच समिति बनाई जा सकती है

सूत्रों के अनुसार, यदि स्कूल स्तर पर मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो शिक्षा विभाग स्वतंत्र जांच समिति गठित कर सकता है। यह समिति मार्कशीट जारी करने की प्रक्रिया, रिकॉर्ड रख-रखाव और संभावित लापरवाही के बिंदुओं की जांच करेगी।

छात्र परेशान, परिवार उलझन में

दो अलग-अलग मार्कशीट सामने आने से छात्र और उसके परिवार को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परिवार ने शिक्षा विभाग से जल्द समाधान और सही परिणाम जारी करने की मांग की है, ताकि आगे की शैक्षणिक प्रक्रिया प्रभावित न हो।

शिक्षा विभाग पर सवाल

यह मामला एक बार फिर शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दस्तावेजों की त्रुटि न सिर्फ छात्रों के भविष्य पर असर डालती है, बल्कि पूरे शिक्षा प्रणाली पर अविश्वास भी पैदा करती है।

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