अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से सक्ती रियासत के राजा रहे एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र बहादुर सिंह का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने 83 वर्ष की उम्र में सक्ती स्थित हरि गुजर महल में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और महल में ही इलाज करवा रहे थे।
साल 1960 में मात्र 18 वर्ष की आयु में उन्होंने सक्ती रियासत की सत्ता संभाली थी। छह दशकों तक वे रियासत और जनता से जुड़े रहे। सक्ती रियासत की स्थापना 1865 में हुई थी और सबसे पहले राजा हरि गुजर बने थे। बाद में उनके वंशजों ने इसे आगे बढ़ाया। राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने अपने भाई के असमय निधन के बाद गद्दी संभाली और राजनीतिक जीवन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

1977 में आपातकाल के बावजूद वे कांग्रेस के टिकट पर सक्ती विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने धर्मेंद्र को दत्तक पुत्र बनाया। सक्ती रियासत के सदस्यों ने 1952 से लगातार पांच दशकों तक विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया, जिनमें राजा लीलाधर सिंह, राजमाता टंक राजेश्वरी सिंह, कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह और इंदुमती शामिल रहे।
इस रियासत ने अविभाजित मध्यप्रदेश और बाद में छत्तीसगढ़ की राजनीति में गहरा प्रभाव डाला। आज भी रियासत के प्रति जनता की गहरी आस्था देखी जाती है। उनके निधन से प्रदेशभर में शोक की लहर फैल गई है।
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