छत्तीसगढ़ में महंगी होगी बिजली: आम आदमी की जेब पर ₹20 से ₹50 का अतिरिक्त बोझ!
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी (CSPDCL) द्वारा 4550 करोड़ रुपये के भारी-भरकम घाटे की भरपाई के लिए बिजली बिल की दरों में वृद्धि का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा गया है. नियामक आयोग ने 15 से 20 पैसे प्रति यूनिट की दर वृद्धि का अनुरोध किया था, जिस पर दो दिनों की जनसुनवाई भी हो चुकी है. पिछले साल जून में दरों में बढ़ोतरी की गई थी, और अब इस साल जुलाई से हर महीने आम उपभोक्ताओं पर 20 से 50 रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की आशंका है.
CSPDCL के उच्चाधिकारियों का कहना है कि घरेलू, कृषि और छोटे-मध्यम व्यापारिक उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी के कारण भारी वित्तीय घाटा हुआ है. उनका तर्क है कि इस घाटे की भरपाई आम उपभोक्ता की जेब से ही संभव है.
हालांकि, इस पूरे मामले में कई सवाल अनुत्तरित हैं:
* विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में किन उपभोक्ताओं को आमंत्रित किया गया था?
* वास्तविक सब्सिडी का लाभ कौन उठा रहा है?
* वित्तीय घाटे की पूर्ति के लिए आम उपभोक्ता की जेब क्यों टटोली जा रही है?
* राज्य में सरप्लस बिजली होने के बावजूद आम उपभोक्ता को इसका क्या लाभ मिल रहा है?
ये ऐसे यक्ष प्रश्न हैं जिनका जवाब न तो कोई लेने को तैयार है और न कोई देने को.
एक तरफ विद्युत विभाग के नियमित कर्मचारी केंद्रीय प्रशासनिक अधिकारियों से भी अधिक वेतन और भत्ते पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके मैदानी ठेका कर्मियों को विद्युत सुधार के दौरान मृत्यु होने पर मिलने वाली अनुग्रह राशि 10 लाख रुपये किए जाने पर आभार व्यक्त करने में महीनों लग जाते हैं. यह विरोधाभास आम जनता के बीच गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.
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