EDITORIAL-5 इंस्पेक्टर बानराज मंझरिया के निधन की दुखद खबर को सामाजिक चेतना (Social Awareness) के मिसाल के रूप में देखें, रेबीज की गंभीरता, पालतू जानवरों की देखभाल में सावधानी और छोटे घावों को नज़रअंदाज़ न करने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आपके समक्ष यह कालम प्रस्तुत है :-
एक दुखद सबक: रेबीज के सामने कोई “छोटा घाव” नहीं
मुख्य विचार (Focus Points):
*एक बहादुर अधिकारी और पशु प्रेमी को श्रद्धांजलि
अहमदाबाद से आई पुलिस इंस्पेक्टर बानराज (वनराज) मंझरिया के असामयिक और दुखद निधन की खबर ने पूरे गुजरात को शोकाकुल कर दिया है। पुलिस कंट्रोल रूम में तैनात मंझरिया जी की मृत्यु, रेबीज जैसे रोके जा सकने वाले संक्रमण से हुई है, जिसने एक बहादुर अधिकारी की जान ले ली और पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ दिए।
मंझरिया जी न केवल अपनी ड्यूटी के प्रति समर्पित थे, बल्कि वह एक गहरे पशु प्रेमी (Dog Lover) भी थे। यह उनके व्यक्तित्व का एक ऐसा पहलू था, जिसके कारण उनकी यह क्षति और भी अधिक हृदय विदारक बन गई है। एक ऐसे व्यक्ति का इस तरह से चले जाना, जिसने अपने प्यारे पालतू जानवर की मामूली खरोंच को नज़रअंदाज़ करने की भारी कीमत चुकाई, हम सभी को स्तब्ध कर देता है।
उनकी सेवाएँ हमेशा याद रखी जाएंगी, और उनकी अचानक अनुपस्थिति पुलिस बल में एक खालीपन छोड़ गई है। हम इस मुश्किल समय में उनके परिवार और सहकर्मियों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। इंस्पेक्टर बानराज मंझरिया का बलिदान हम सभी के लिए एक कड़वा और दर्दनाक सबक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा के मामलों में छोटी सी चूक भी जानलेवा हो सकती है।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
- एक ‘छोटी’ चूक, एक घातक सबक – इंस्पेक्टर बानराज मंझरिया की त्रासदी सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है; यह लापरवाही का एक भयानक सबक है जिसने समाज को झकझोर दिया है। उनकी सबसे बड़ी भूल यह थी कि उन्होंने अपने टीकाकृत (Vaccinated) पालतू कुत्ते की खरोंच को मामूली समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया। एक पशु प्रेमी होने के बावजूद, उन्होंने उस सरल नियम को अनदेखा किया जो हर पशु मालिक को जानना चाहिए: रेबीज (Rabies) के सामने कोई ‘छोटा घाव’ नहीं होता।
अक्सर हम यह मान लेते हैं कि अगर पालतू जानवर को टीका लगा है और उसने काटा नहीं, बल्कि केवल खरोंचा है, तो खतरा टल गया। लेकिन यह खतरनाक मिथक है। रेबीज वायरस के लिए घाव का प्रकार (काटना, खरोंचना या संक्रमित जानवर का चाटना) मायने नहीं रखता। अगर त्वचा टूट गई है, तो वायरस को शरीर में प्रवेश करने का रास्ता मिल जाता है।
मंझरिया जी की यह चूक हमें चेतावनी देती है कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण दिखने के बाद इलाज संभव नहीं है। उनका बलिदान इस संपादकीय का केंद्रीय विषय है: पशु संपर्क से होने वाले हर छोटे घाव को मेडिकल इमरजेंसी की तरह लें और बिना देरी किए एंटी-रेबीज वैक्सीन (Post-Exposure Prophylaxis) लगवाएँ। यही एकमात्र रास्ता है जिससे हम इस 100% घातक, लेकिन 100% रोकथाम योग्य बीमारी को हरा सकते हैं। - रेबीज: घातक है, पर रोकी जा सकती है इंस्पेक्टर मंझरिया का दुर्भाग्यपूर्ण निधन हमें रेबीज नामक बीमारी की भयानक गंभीरता की याद दिलाता है। यह वह सच्चाई है जिसे हमारा समाज अक्सर नज़रअंदाज़ कर देता है: रेबीज 100% घातक (Fatal) है। इसका अर्थ स्पष्ट है—एक बार इस बीमारी के लक्षण (जैसे पानी से डर या हाइड्रोफोबिया, बेचैनी) दिखने शुरू हो जाएं, तो फिर दुनिया की कोई भी चिकित्सा प्रणाली या दवा व्यक्ति को बचा नहीं सकती। परिणाम केवल और केवल मृत्यु होता है।
परंतु, यहीं पर आशा का एक बड़ा संदेश छिपा है: रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो 100% रोकथाम योग्य (Preventable) है। यह वायरस किसी जादू से नहीं फैलता, बल्कि यह जानवर के संपर्क—काटने, खरोंचने या चाटने—से फैलता है।
जागरूकता ही बचाव है। हमें समाज के हर व्यक्ति तक यह बात पहुँचानी होगी कि रेबीज का इलाज लक्षणों के दिखने से पहले ही करना होता है। जानवर के संपर्क में आते ही, बिना किसी देरी या संदेह के, तुरंत एंटी-रेबीज वैक्सीन लेना ही एकमात्र और अंतिम सुरक्षा कवच है। कोई लापरवाही नहीं, कोई देरी नहीं। इस जानलेवा खतरे को केवल सक्रिय कदम और तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप से ही हराया जा सकता है।
- पालतू जानवरों के मालिकों के लिए संदेश:
- टीकाकरण आवश्यक, पर पर्याप्त नहीं: हमारे पालतू जानवर हमारे परिवार का हिस्सा हैं, और उनकी सुरक्षा हमारी पहली ज़िम्मेदारी है। इस दुखद संदर्भ में, यह दोहराना अनिवार्य है कि पालतू कुत्तों और बिल्लियों का रेबीज टीकाकरण (Vaccination) एक अनिवार्य कदम है। नियमित टीकाकरण न केवल हमारे प्यारे साथी को बचाता है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति हमारा पहला कर्तव्य भी है।
हालांकि, इंस्पेक्टर मंझरिया की घटना ने एक गंभीर मिथक को तोड़ा है: टीकाकरण को सुरक्षा की अंतिम गारंटी नहीं मानना चाहिए। मंझरिया जी का कुत्ता टीकाकृत था, फिर भी संक्रमण हुआ। इसका सीधा अर्थ यह है कि टीकाकरण, रेबीज से बचाव की एक मज़बूत नींव है, लेकिन यह इंसानों को होने वाले जोखिम को शून्य नहीं करता।
यदि टीकाकृत जानवर से भी खरोंच या घाव होता है, तो मानव शरीर को रेबीज वायरस के खिलाफ तत्काल अतिरिक्त सुरक्षा (वैक्सीन) की आवश्यकता होती है। पशु के टीकाकरण पर निर्भर होकर चुप बैठना जीवन के लिए घातक लापरवाही साबित हो सकता है।
- तत्काल सुरक्षा कवच: PEP का महत्व- जब बात रेबीज के खतरे की हो, तो Post-Exposure Prophylaxis (PEP) ही जीवन बचाने वाला अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। इंस्पेक्टर मंझरिया की दुखद कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी जानवर के संपर्क से होने वाले घाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है: जैसे ही पालतू या आवारा जानवर की खरोंच, काटने या चाटने से त्वचा टूटे, उस जगह को तुरंत 10 से 15 मिनट तक साबुन और बहते पानी से धोएँ। यह वायरस के कणों को निकालने का सबसे प्रभावी तरीका है।
दूसरा, और निर्णायक कदम: बिना किसी देरी के डॉक्टर से मिलें और एंटी-रेबीज वैक्सीन (Anti-Rabies Vaccine) का पूरा कोर्स शुरू करवाएँ। यह प्रक्रिया, जिसे PEP कहते हैं, वायरस को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) तक पहुँचने और बीमारी पैदा करने से रोकती है। रेबीज का वायरस एक बार मस्तिष्क तक पहुँच गया, तो मृत्यु निश्चित है। इसलिए, समय ही जीवन है। कोई भी बहाना या देरी घातक हो सकती है—तुरंत वैक्सीन लें और सुरक्षित रहें।
- अंतिम आह्वान: ‘शायद’ नहीं, ‘निश्चित’ बनें! – इंस्पेक्टर बानराज मंझरिया का निधन केवल एक पुलिस अधिकारी की निजी त्रासदी नहीं है; यह एक राष्ट्रीय चेतावनी है, एक ऐसा वेक-अप कॉल है जिसकी गूँज हर घर तक पहुँचनी चाहिए। उनकी कहानी एक गहरा सत्य उजागर करती है: स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामलों में, खासकर रेबीज जैसे 100% घातक खतरे के सामने, हमारी ‘शायद’ (Maybe) या ‘सब ठीक होगा’ (It’ll be fine) वाली सोच कितनी जानलेवा हो सकती है।
हमारा समाज अक्सर खतरों को नज़रअंदाज़ करने की आदत रखता है। हम सोचते हैं, “ऐसा मेरे साथ नहीं होगा,” या “घाव बहुत छोटा है,” या फिर “कुत्ता वैक्सीनेटेड था।” मंझरिया जी ने भी यही सोचा, और इस छोटी सी लापरवाही ने एक हंसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया। यह घटना हमें यह सबक सिखाती है कि विज्ञान और चिकित्सा के नियमों के सामने भावनाओं या अंदाज़ों की कोई जगह नहीं है। रेबीज वायरस किसी भी खरोंच या कटे हुए हिस्से से प्रवेश कर सकता है—और जब यह करता है, तो मौत निश्चित है।
- सामाजिक दायित्व और जागरूकता की आवश्यकता
यह जिम्मेदारी सिर्फ पशु मालिकों की नहीं है; यह एक सामाजिक आह्वान है। हमें न केवल अपने पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण सुनिश्चित करना होगा, बल्कि हमें हर गली-मोहल्ले में रहने वाले आवारा पशुओं के सामूहिक टीकाकरण (Mass Vaccination) के लिए स्थानीय निकायों पर भी दबाव डालना होगा।
हमें बच्चों और वयस्कों को एक ही सुनिश्चित प्रोटोकॉल सिखाना होगा:
- संपर्क: किसी भी जानवर (कुत्ता, बिल्ली, बंदर) के काटने, खरोंचने या चाटने पर।
- धुलाई: घाव को तुरंत 10-15 मिनट तक साबुन और बहते पानी से धोना।
- डॉक्टर: बिना एक पल की देरी किए डॉक्टर के पास जाना और एंटी-रेबीज वैक्सीन (Post-Exposure Prophylaxis – PEP) का पूरा कोर्स लेना।
हमें यह अंधविश्वास तोड़ना होगा कि टीकाकृत जानवर से कोई खतरा नहीं होता। सुरक्षा के लिए मानव शरीर को भी टीकों की जरूरत होती है।
- लापरवाही की कीमत- मंझरिया जी की कहानी हमें बताती है कि ‘लापरवाही’ की कीमत कितनी महंगी हो सकती है। यह कीमत एक परिवार के सदस्य का जीवन होती है, जिसे रोका जा सकता था। क्या हम एक और परिवार को इस तरह का दर्द झेलने देंगे, सिर्फ इसलिए कि हम ‘शायद’ के भरोसे बैठे रहे?
नहीं! हमें इस दुखद घटना को एक शक्तिशाली प्रेरणा (Motivation) में बदलना होगा। आइए, हम सब मिलकर शपथ लें कि:
- हम अब से किसी भी खरोंच को नज़रअंदाज़ नहीं करेंगे।
- हम अपने आस-पास जागरूकता फैलाएंगे।
- हम स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामलों में ‘शायद’ की जगह ‘निश्चित’ बनेंगे।
इंस्पेक्टर बानराज मंझरिया का जीवन बचाना शायद हमारे हाथ में नहीं था, लेकिन उनकी मृत्यु से सबक लेना और अगले जीवन को बचाना निश्चित रूप से हमारे हाथ में है। यही उनके बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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Rabies Vaccine: Dosage, Schedule, and Side Effects
Rabies, a deadly virus affecting the central nervous system of mammals, including humans, is primarily transmitted through the bite of an infected animal. Once symptoms appear, rabies is almost always fatal. However, the power to prevent this lies in getting vaccinated against rabies, a crucial step for both humans and animals. In this article, we will delve into the life-saving importance of getting rabies vaccinated, the vaccine schedule, costs, and potential side effects.
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