बीजापुर: जिले में नक्सलियों की कायराना हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। आज एक ओर जहां मुखबिरी के शक में एक युवक की हत्या कर दी गई, वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए बिछाए गए IED की चपेट में आने से एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया है। यह घटनाएं ऐसे समय हुई जब सुरक्षाबल राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार अभियान चला रहे हैं और कई क्षेत्रों को नक्सलमुक्त घोषित किया जा चुका है।
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मुखबिरी के शक में युवक की हत्या
पहली घटना उसूर थाना क्षेत्र के पेरमपल्ली गांव की है, जहां नक्सलियों ने कवासी हूँगा नामक युवक को बीते मंगलवार देर रात मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि नक्सलियों को युवक पर पुलिस की मुखबिरी का शक था। यह घटना उस वक्त हुई जब गांव के अधिकांश लोग अपने घरों में सो रहे थे। हत्या के बाद नक्सली मौके से फरार हो गए।
गौरतलब है कि बीते महीने भी नक्सलियों ने बीजापुर के पेद्दाकोरमा में तीन और पामेड़ क्षेत्र में दो ग्रामीणों की हत्या कर दी थी। इस प्रकार की घटनाएं क्षेत्र में भय का माहौल बना रही हैं।
बीजापुर एसपी ने हत्या की पुष्टि करते हुए कहा कि, “पुलिस टीम मौके के लिए रवाना कर दी गई है। प्रथम दृष्टया अज्ञात लोगों द्वारा हत्या का मामला दर्ज किया गया है। जांच जारी है और जैसे ही तथ्य सामने आएंगे, उन्हें साझा किया जाएगा।”
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IED की चपेट में आकर ग्रामीण घायल
दूसरी घटना मद्देड़ थाना क्षेत्र की है, जहां पेगड़ापल्ली गांव का रहने वाला विशाल गोटे मंगलवार शाम सिराकोंटा और दम्पाया के बीच जंगल में फुटू (जंगली कंदमूल) लेने गया था। इसी दौरान वह नक्सलियों द्वारा पहले से बिछाए गए प्रेशर IED की चपेट में आ गया। IED को सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लगाया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी चपेट में निर्दोष ग्रामीण आ गया।
घायल विशाल गोटे को पहले मद्देड़ स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार दिया गया, फिर जगदलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
सुरक्षाबलों के एक्शन से बौखलाए नक्सली
गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार ने नक्सलवाद के सफाए को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश से माओवाद का पूरी तरह से सफाया कर दिया जाएगा। इसके मद्देनजर दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और राजनांदगांव जैसे अति नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों द्वारा ऑपरेशनों की संख्या में तेजी आई है। खुफिया जानकारी और तकनीकी संसाधनों के ज़रिए माओवादी नेटवर्क को कमजोर किया जा रहा है। कई शीर्ष नक्सली या तो मारे जा चुके हैं या सरेंडर कर चुके हैं। यही वजह है कि जैसे-जैसे यह डेडलाइन नजदीक आ रही है, नक्सलियों में बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है और वह इस तरह की कायराना हरकतों को अंजाम दे रहे है।
गृहमंत्री विजय शर्मा ने हाल ही में बयान दिया कि मानसून के दौरान भी एंटी नक्सल ऑपरेशन बिना किसी विराम के जारी रहेगा। सामान्यतः बरसात में जंगलों में अभियान धीमा पड़ जाता है, लेकिन इस बार सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।



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