Categories

November 26, 2025

वेब न्यूज़ पोर्टल संघर्ष के स्वर

संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है।

सरगुजा में नक्सली कमांडर हिडमा की तारीफ पर विवाद, यूट्यूबर सुरंजना सिद्दार के पोस्ट पर पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल

सरगुजा। सोशल मीडिया पर नक्सली गतिविधियों से जुड़े बयानों को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सरगुजा की यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सुरंजना सिद्दार ने कुख्यात नक्सली कमांडर माडवी हिडमा की खुलेआम तारीफ की है। उन्होंने हिडमा की तुलना आदिवासियों के आराध्य बिरसा मुंडा से करते हुए श्रद्धांजलि भी अर्पित की, जिसके बाद इस पोस्ट को लेकर प्रदेश में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

सरगुजा पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि विवादित पोस्ट वायरल होने के बाद भी सरगुजा पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि इतनी गंभीर टिप्पणी और प्रतिबंधित संगठन के समर्थक बयान देने के बावजूद पुलिस की चुप्पी समझ से परे है।

Zubeen Garg Murder Claim : असम CM का बड़ा दावा, “जुबीन गर्ग की मौत हादसा नहीं, सोचा-समझा मर्डर था”

दिल्ली में हिडमा समर्थकों पर कड़ी कार्रवाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में ढिलाई?

कुछ दिन पहले दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे पर वामदलों से जुड़े कुछ युवाओं ने नक्सली कमांडर हिडमा के समर्थन में प्रदर्शन किया था। दिल्ली पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए उन सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इसके उलट छत्तीसगढ़ में हिडमा की खुले मंच और सोशल मीडिया पर प्रशंसा करने वालों पर कोई भी कड़ी कार्यवाही नहीं हो रही है, जिससे कानून लागू करने की नीयत और गंभीरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

कौन है माडवी हिडमा?

माडवी हिडमा नक्सल संगठन की सैन्य शाखा PLGA का एक प्रमुख कमांडर है। वह कई बड़े हमलों और सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसक घटनाओं में शामिल रहा है। देश की सुरक्षा एजेंसियाँ लंबे समय से उसकी तलाश में हैं।

स्थानीय लोगों में नाराजगी

सुरंजना सिद्दार के बयान पर स्थानीय आदिवासी समाज संगठनों और आम नागरिकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि बिरसा मुंडा जैसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की तुलना एक कुख्यात नक्सली से करना आदिवासी मान्यताओं का अपमान है।

पुलिस जांच की मांग तेज

सोशल मीडिया पर लगातार यह मांग उठ रही है कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाए और ऐसे बयानों पर सख्ती दिखाई जाए, ताकि प्रतिबंधित संगठनों के प्रति सहानुभूति फैलाने की कोशिशों पर रोक लग सके।

About The Author