जनता पर बोझ पड़ेगा या मिलेगी राहत, इसका फैसला अब आयोग के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
फैसला जनता का, पर जनता की आवाज़ उठाने वाले प्रतिनिधि ही गायब हैं।
रायपुर, 01,जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग (CSERC) द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित बिजली दरों पर बहुप्रतीक्षित सार्वजनिक सुनवाई 30 जून 2025 को संपन्न हो गई। यह सुनवाई उन सभी बिजली उपभोक्ताओं और हितधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर थी जो 19 और 20 जून को हुई पिछली सुनवाइयों में शामिल नहीं हो पाए थे। आयोग के न्यायालय कक्ष में सुबह 11:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक चली इस सुनवाई का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की राज्य बिजली कंपनियों, विशेषकर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी (CSPDCL) द्वारा दायर टैरिफ याचिकाओं और अन्य संबंधित प्रस्तावों पर जनता के विचारों, आपत्तियों और सुझावों को सुनना था।
इस जनसुनवाई में आम उपभोक्ताओं, औद्योगिक इकाइयों, कृषि उपभोक्ताओं, व्यापारिक संगठनों और विभिन्न उपभोक्ता मंचों व किसान प्रतिनिधियों सहित कई संबंधित पक्षों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने प्रस्तावित टैरिफ वृद्धि, बिजली की आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता, तथा अन्य सेवा संबंधी मुद्दों पर अपने सरोकार और चिंताएं व्यक्त कीं। कई प्रतिनिधियों ने तर्क दिया कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में किसी भी प्रकार की टैरिफ वृद्धि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालेगी, जबकि कुछ ने बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया। आयोग ने सभी प्रस्तुतियों को ध्यान से सुना और टैरिफ निर्धारण की प्रक्रिया में इन सभी इनपुट पर विचार करने का आश्वासन दिया।
गौरतलब है कि CSPDCL ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपनी आय और व्यय के बीच लगभग ₹4500 करोड़ के अंतर का हवाला देते हुए टैरिफ में वृद्धि का प्रस्ताव दिया है, जिसमें प्रति यूनिट 20 पैसे तक की बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। मई 2025 से लागू हुआ फ्यूल पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (FPPAS) भी उपभोक्ताओं पर पहले से ही अतिरिक्त वित्तीय दबाव डाल रहा है।
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सार्वजनिक सुनवाइयों के समापन के बाद, अब गेंद CSERC के पाले में है। आयोग सभी प्राप्त सुझावों, आपत्तियों और बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तुत विस्तृत जानकारी का गहन विश्लेषण करेगा। इस विश्लेषण के आधार पर, CSERC जल्द ही वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अंतिम टैरिफ आदेश जारी करेगा। यह आदेश पूरे छत्तीसगढ़ में लागू होगा और यह तय करेगा कि प्रदेश के लाखों बिजली उपभोक्ताओं को आगामी वित्तीय वर्ष में बिजली के लिए कितनी कीमत चुकानी होगी ।
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