बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों की सेवा सहकारी समितियों में कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व में संविदा आधार पर होने वाली इन नियुक्तियों को अब सरकार आउटसोर्सिंग के माध्यम से करने जा रही है, जिसके खिलाफ ऑपरेटर संघ ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। एक ओर जहां शासन स्तर पर टेंडर प्रक्रिया समाप्ति की ओर है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश भर के ऑपरेटर संघ एक बार फिर एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी में हैं।
ऑपरेटर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मीनाक्षी यादव, जिला शक्ति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम बरेठ, और बिलासपुर जिले के कार्यकारिणी सदस्य सुनील कश्यप एवं आनंद सिंगरौल ने संयुक्त रूप से उच्च न्यायालय में इस आउटसोर्सिंग प्रक्रिया को चुनौती दी है। वे फिलहाल न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, सरकार ने ठेका कंपनियों से आवेदन आमंत्रित करने का विज्ञापन जारी किया था, और यह टेंडर प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है।
ऑपरेटरों का आरोप है कि 18 वर्षों तक कम वेतन पर काम करने के बाद अचानक आउटसोर्सिंग करने से उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। वे लंबे समय से नियमितीकरण और वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं, जिसके लिए पूर्व में शासन स्तर पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन भी दिए गए थे। हालांकि, नियमितीकरण और वेतन वृद्धि तो दूर, अब उनके साथ और भी बुरा बर्ताव किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों के लिए कोई निश्चित विभाग तय न होने का मुद्दा भी दिल्ली दरबार तक उठाया गया है, और इस संबंध में खाद्य विभाग को पत्र भी जारी किया गया है। पदाधिकारी विभाग तय करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी में हैं। इस बार धान खरीदी ऑपरेटर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं, क्योंकि उनकी मांग एक मायने में जायज भी है। शासन का यह निर्णय दोहरी मानसिकता को दर्शाता है और हजारों ऑपरेटरों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
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