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December 20, 2025

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Naxalism Ends In MMC Zone

Naxalism Ends In MMC Zone

Naxalism Ends In MMC Zone : 3 राज्यों की संयुक्त रणनीति से बड़ी सफलता, शीर्ष नक्सली नेताओं ने किया सरेंडर

रायपुर/भोपाल/मुंबई। मध्यप्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़ (MMC) बॉर्डर क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिलते हुए सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद की जड़ें लगभग पूरी तरह उखाड़ दी हैं। वर्षों से सक्रिय रहा यह MMC जोन अब नक्सल मुक्त घोषित किया जा रहा है। सेंट्रल कमेटी मेंबर मिलिंद तिलतुमड़े के एनकाउंटर और शीर्ष नक्सली नेताओं के सरेंडर के बाद यह इलाका पूरी तरह शांतिपूर्ण होने की दिशा में बढ़ चुका है।

मिलिंद तिलतुमड़े के एनकाउंटर के बाद गिरी नक्सल ताकत

सूत्रों के अनुसार सेंट्रल कमेटी मेंबर मिलिंद तिलतुमड़े के एनकाउंटर के बाद नक्सल संगठन की कमर टूट गई थी। इसके बाद लगातार दबाव और जंगलों में सिकुड़ते ठिकानों के चलते नक्सली नेताओं ने आत्मसमर्पण का फैसला लिया।

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रामधेर, अनंत और कबीर ने 33 साथियों के साथ छोड़ा हिंसा का रास्ता

सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई और राज्य सरकारों की पुनर्वास नीति के बाद सेंट्रल कमेटी मेंबर रामधेर, प्रवक्ता अनंत और SZCM कबीर ने अपने 33 साथियों के साथ सरेंडर कर दिया। यह नक्सल मोर्चे के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक मानी जा रही है।

MMC जोन में अब सिर्फ 5–6 नक्सली बचे

जानकारी के अनुसार अब MMC जोन में छोटा दीपक के नेतृत्व में सिर्फ 5 से 6 नक्सलियों की एक छोटी टीम ही बची है। छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि ये सभी सरेंडर की प्रक्रिया में हैं।

MMC जोन कैसे बना था नक्सलियों का गढ़

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से लगे घने जंगलों वाला इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित अड्डा माना जाता था।
यहां उनकी संख्या कभी भी 40–45 से ज्यादा नहीं रही, लेकिन इलाके की भौगोलिक कठिनाइयों के कारण वे लंबे समय तक सक्रिय रह सके।

सरकार का दावा—अब इलाका पूरी तरह नक्सल मुक्त

छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि शीर्ष नेतृत्व के सरेंडर करने के बाद MMC जोन पूरी तरह नक्सल मुक्त हो चुका है।
अब यहां बड़े हमले या बड़े नक्सली गुट सक्रिय होने की संभावना लगभग खत्म मानी जा रही है।

स्थानीय विकास पर फोकस

राज्य सरकारें अब इस क्षेत्र में सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं, ताकि इस क्षेत्र को मुख्यधारा में पूरी तरह जोड़ा जा सके।

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