Teacher suspension case धमतरी, छत्तीसगढ़: धमतरी जिले के कुरूद ब्लॉक के ग्राम नारी में पदस्थ एक शिक्षक को स्कूल की खराब व्यवस्था को सोशल मीडिया पर उजागर करना महंगा पड़ गया है। राज्योत्सव के जश्न के बीच, शिक्षा व्यवस्था की कमी और किताबों की भारी किल्लत की सच्चाई सामने रखने वाले सहायक शिक्षक ढालूराम साहू को जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
Bihar Elections 2025: वैशाली में RJD समर्थकों का बवाल, CRPF जवानों पर पथराव से मचा हंगामा
बच्चों को पुरानी किताबों से पढ़ना पड़ा मजबूर
निलंबन का कारण शिक्षक द्वारा व्हाट्सएप स्टेटस पर साझा की गई पोस्ट बनी, जिसमें उन्होंने जमीनी हकीकत बताई। ग्राम नारी की सरकारी नई प्राथमिक शाला में कक्षा चौथी के 21 बच्चों (11 बालक, 10 बालिकाएँ) की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है।
- किताबों की कमी: स्कूल को शिक्षा विभाग की ओर से हिंदी विषय की एक भी नई किताब अब तक प्राप्त नहीं हुई है।
- पुरानी किताबों का सहारा: बच्चे केवल 8 पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई करने को मजबूर हैं, जिससे तीन-तीन बच्चे मिलकर एक किताब पढ़ते हैं।
- झगड़े की नौबत: किताबों की कमी इतनी विकट है कि पढ़ाई के दौरान किताब को लेकर बच्चों में झगड़े की नौबत तक आ जाती है, और कई बच्चे तो बिना किताब के ही घर लौट जाते हैं।
- Vande Mataram 150 years: “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: राष्ट्रगौरव का वर्षभर चलने वाला महाअभियान 7 नवंबर से आरंभ
सोशल मीडिया पर की थी कड़ी टिप्पणी
अपनी पोस्ट में, शिक्षक ढालूराम साहू ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा था कि “बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ठप्प है और हम राज्योत्सव मनाने चले हैं।” उन्होंने यह भी टिप्पणी की थी कि जनप्रतिनिधियों को यह सब नहीं दिखता और उन्हें “जहाँ खाने-पीने की सुविधाएँ हों वहीं काम करते हैं।”
सबसे आपत्तिजनक अंश यह था कि उन्होंने मांग की थी कि “जब तक बच्चों को पूरा पुस्तक नहीं मिलेगी सहायक शिक्षक से लेकर कलेक्टर और शिक्षा मंत्री तक का वेतन रोक देना चाहिए।” विभाग ने इसी पोस्ट को अनुशासनहीनता मानते हुए उन पर कार्रवाई की है।
कार्रवाई और निहितार्थ
शिक्षक के निलंबन से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकारी कर्मचारियों को जमीनी समस्याओं को उठाने का अधिकार नहीं है, खासकर तब जब वह सीधे बच्चों के भविष्य से जुड़ी हों। विभाग ने इस कार्रवाई को ‘नियमों का उल्लंघन’ बताया है, जबकि शिक्षक के समर्थक इसे सच्चाई बोलने की सज़ा करार दे रहे हैं। यह घटना प्रदेश की ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में सामग्री वितरण की खामियों और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है।



More Stories
Avaidh Sharaab Network : गुड़ फैक्ट्री की आड़ में चल रहा था अवैध शराब निर्माण, पांच गिरफ्तार
Chhattisgarh Guideline Rate Increase : गाइडलाइन दर पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी का बड़ा बयान: कांग्रेस पर लगाया जमीन साज़िश का आरोप, कहा—‘मध्य वर्ग और किसानों के हित में लिया गया फैसला’
DGP-IGP Conference : रायपुर में जुटेंगे देश के शीर्ष पुलिस अधिकारी