बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बर्खास्त बीएड (B.Ed.) शिक्षकों के समायोजन की मांग को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार के निर्णय को पूरी तरह से सही ठहराया है और स्पष्ट किया कि बर्खास्त शिक्षकों को सेवा से हटाने का यह निर्णय न तो अवैध है और न ही मनमाना (Arbitrary)।
Southern Railway Recruitment 2025: खेल कोटा में 67 पदों पर भर्ती, ऑनलाइन आवेदन शुरू
कोर्ट के इस फैसले से उन हजारों शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है, जिनकी नियुक्ति बीएड योग्यता के आधार पर की गई थी, लेकिन बाद में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
क्या था मामला?
दरअसल, राज्य शासन ने पहले बीएड डिग्री धारकों को शिक्षक के पदों पर नियुक्त किया था। हालांकि, बाद में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) के दिशा-निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आलोक में इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था, क्योंकि इन पदों के लिए मुख्य रूप से डीएड/डीएलएड योग्यता अनिवार्य मानी गई थी।
सेवा से बर्खास्त किए गए इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उन्हें नौकरी से हटाने के बजाय अन्य समकक्ष विभागों या पदों पर समायोजित किया जाए।
हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह पाया कि राज्य सरकार का यह निर्णय कानूनी प्रक्रिया के तहत लिया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:
- “यह निर्णय अवैध और मनमाना नहीं है।”
- राज्य सरकार ने नियमों और कानूनी बाध्यताओं के चलते यह कदम उठाया है।
- शिक्षकों को अन्य विभागों में समायोजित करने की मांग को स्वीकार करना सेवा नियमों के विपरीत होगा, क्योंकि उनकी नियुक्ति विशिष्ट पद और योग्यता के आधार पर हुई थी।
इस फैसले के बाद अब बर्खास्त बीएड शिक्षकों के लिए समायोजन का रास्ता लगभग बंद हो गया है, जबकि राज्य सरकार के फैसले पर कानूनी मुहर लग गई है।
More Stories
Festival Special Train: पूजा पर स्टेशन नहीं होंगे पैक, SECR की ट्रेनों से बुकिंग का दबाव कम होगा
Wine Bottle Accident: युवक की कमर में घुसा शीशी का कांच, इलाज जारी
Restriction On Movement : एनीकट पर बह रहा था पानी , मिनी ट्रक में 30-40 लोग सवार