नेपाल की सड़कों पर भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ युवाओं का आक्रोश अभी थमा भी नहीं था कि अब फ्रांस में भी युवा सरकार के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन दोनों घटनाओं को देखकर यह सवाल उठता है: क्या हम जेन-Z क्रांति की एक वैश्विक लहर देख रहे हैं? क्या युवा अब सिर्फ़ अपने देश की सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दुनिया भर में एक ही तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं और एक जैसी ही निराशा व्यक्त कर रहे हैं?
यह खबर जरूर पढ़ें :- EDITORIAL #2: नेपाल की Gen Z क्रांति “सिर्फ़ नेपाल की कहानी नहीं है” असमंजस और अधूरी हक़ीक़त
नेपाल में, युवाओं का गुस्सा दशकों के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और रोज़गार के अवसरों की कमी के ख़िलाफ़ फूटा था। उनका नारा, “करप्शन बैन करो, कनेक्शन नहीं”, एक ऐसी व्यवस्था के ख़िलाफ़ सीधी चुनौती थी जहाँ योग्यता से ज़्यादा पहुँच मायने रखती है। ठीक इसी तरह, फ्रांस में भी युवा अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों और नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। वहाँ भी यह प्रदर्शन सिर्फ़ एक राजनीतिक फैसले के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि एक व्यापक हताशा का प्रतीक है जहाँ युवा महसूस करते हैं कि उनकी आवाज़ को अनदेखा किया जा रहा है।
दोनों ही मामलों में, एक बात साफ़ है: जेन-Z अब निष्क्रिय दर्शक नहीं है। वे जानते हैं कि उनके पास सोशल मीडिया जैसे शक्तिशाली उपकरण हैं, जिनके ज़रिए वे बिना किसी औपचारिक नेता या पार्टी के, लाखों लोगों को संगठित कर सकते हैं। नेपाल में टिकटॉक और ट्विटर का इस्तेमाल हुआ, जबकि फ्रांस में भी यही डिजिटल माध्यम विरोध प्रदर्शनों को तेज़ करने और दुनिया तक अपनी बात पहुँचाने का जरिया बने। इन युवाओं को पुरानी राजनीतिक विचारधाराओं से कोई लेना-देना नहीं है। उनका ध्यान सीधे-सीधे उन मुद्दों पर है जो उनके जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं—जैसे आर्थिक अस्थिरता, भविष्य की असुरक्षा और सरकारों की जवाबदेही की कमी।
यह स्थिति भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण सबक है। यहाँ भी, युवा बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं। नेपाल और फ्रांस की घटनाएँ एक चेतावनी की तरह हैं कि अगर इन चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यही गुस्सा एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। यह दिखाता है कि आज के युवा अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं, और अगर सरकारें उन्हें प्रदान करने में विफल रहती हैं, तो वे खुद ही बदलाव लाने की ज़िम्मेदारी उठाएंगे।
निष्कर्ष के तौर पर, नेपाल और फ्रांस में हो रहे ये विरोध प्रदर्शन सिर्फ़ अलग-अलग देशों की कहानी नहीं हैं। यह जेन-Z की नई राजनीतिक जागरूकता का प्रमाण है जो भौगोलिक सीमाओं से परे है। यह एक वैश्विक संदेश है कि युवा अब मूक दर्शक नहीं रहेंगे; वे अपनी सरकारों से सीधे सवाल पूछेंगे और अपने भविष्य को खुद ही आकार देंगे।
More Stories
इंफाल में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात कर पीएम ने सुनी समस्याएं
हाईप्रोफाइल संपत्ति विवाद में हंगामा: करिश्मा कपूर और संजय कपूर केस की सुनवाई के दौरान वकीलों में झड़प
51 किलोमीटर लंबी रेल लाइन से मिजोरम जुड़ा दिल्ली से: 45 सुरंगों और कुतुबमीनार से ऊंचा ब्रिज, पीएम मोदी ने उद्घाटन किया