रायपुर। राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में संचालित सरकारी शराब दुकानों में मिलावटी और बिना होलोग्राम वाली शराब मिलने का मामला गंभीर रूप से तूल पकड़ चुका है। विभाग की कार्यप्रणाली और प्लेसमेंट एजेंसी की संलिप्तता ने इस पूरे खेल की गंभीरता को उजागर किया है।
मोदी बोले- दुनिया की शक्ति सेमीकंडक्टर चिप में सिमटी:पहले तेल के कुएं से भविष्य तय होता था
जांच में सामने आया कि BIS प्लेसमेंट एजेंसी के उच्च पदस्थ अधिकारी, सुपरवाइजर और सेल्समैन सीधे तौर पर मिलावटी और बिना होलोग्राम शराब बेचने में शामिल पाए गए हैं। कई दुकानों से जब्त बोतलों में गुणवत्ता की कमी और असली होलोग्राम का अभाव पाया गया, जिससे यह साफ हो गया कि उपभोक्ताओं के साथ सीधी धोखाधड़ी हो रही थी।
आवश्यक कार्रवाई की अपेक्षा के बावजूद विभाग ने एजेंसी पर केवल मामूली जुर्माना लगाया और ब्लैकलिस्टिंग नहीं की। जांच रिपोर्ट के बावजूद एजेंसी ने सरकारी दुकानों में ओवर रेट पर शराब बेचकर जुर्माने की भरपाई कर ली। विभाग की यह उदासीनता उपभोक्ताओं की सुरक्षा और विश्वास के लिए खतरा बनती जा रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग की एक महिला अधिकारी ने प्लेसमेंट एजेंसियों की बैठक बुलाई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह बैठक औपचारिकता से अधिक कुछ नहीं नजर आ रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी शराब दुकानों में मिलावटी शराब का खुलासा एक गंभीर अपराध है और इसका जिम्मा सीधे आबकारी विभाग पर है। अब सवाल यह है कि क्या विभाग दोषियों के खिलाफ ठोस और पारदर्शी कार्रवाई करेगा या यह मामला भी पुराने घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।



More Stories
District President : बालोद में सनसनी राजनीतिक नेता की कार को बदमाश ने लगाई आग रात में भड़क उठी लपटें, जिला अध्यक्ष की कार जलकर खाक
बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बैंक अकाउंट का नामिनी सिर्फ अभिरक्षक, मालिकाना हक उत्तराधिकारियों का
Operation Vermilion : उत्तरी अरब सागर में भारतीय नौसेना का दबदबा, INS विक्रांत की आक्रामक तैनाती जारी