बिलासपुर- हाईकोर्ट ने एसईसीएल के खिलाफ पुनर्वास नीति के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दायर अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि भूमि अधिग्रहण की तिथि पर प्रभावशील पुनर्वास नीति के अनुसार ही प्रभावितों को लाभ मिलेगा.
सपरिवार भिलाई पहुंचे CM साय, पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा किया श्रवण
कोर्ट ने कहा कि पुनर्वास नीति के तहत भूमि अधिग्रहण से प्रभावितों को रोजगार देना एसईसीएल की जिम्मेदारी है. इसके लिए यह नहीं देखा जाएगा कि अधिग्रहण किस अधिनियम के तहत हुआ है. भूमि अधिग्रहण की तिथि पर जो नीति प्रभावशील थी, उसके अनुसार पात्र व्यक्तियों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ मिलना चाहिए. मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसईसीएल की ओर से दायर इस अपील में उठाए गए मुद्दे पहले ही प्यारे लाल मामले में निचली अदालत द्वारा तय किए जा चुके हैं और उस निर्णय को चुनौती भी नहीं दी गई है. ऐसे में अपील में उठाए गए तर्कों में कोई नवीनता नहीं है, जिससे डिवीजन बेंच को पूर्व के निर्णय से अलग रुख अपनाने की कोई आवश्यकता नहीं है.
Hindu Rituals: इन 9 लोगों के पैर कभी मत छूना, आशीर्वाद मिलने की बजाय लग सकता है पाप
कोर्ट ने अपने निर्णय में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया, जिसमें यह साफ किया गया है कि पुनर्वास और रोजगार का अधिकार भूमि अधिग्रहण के साथ जुड़ा मौलिक अधिकार है और इसे किसी भी प्रकार की नीति में बदलाव के आधार पर छीना नहीं जा सकता.
डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि एसईसीएल की अपील में ऐसा कोई तथ्य नहीं है, जिससे पूर्व में दिए गए आदेशों में हस्तक्षेप की आवश्यकता हो. अतः अपील को खारिज करते हुए कहा गया कि पूर्व निर्णय दिनांक 29 जुलाई 2025 के अनुसार ही इस प्रकरण का निपटारा किया जाएगा.
More Stories
Raipur Police Commissioner System :अपराध नियंत्रण में सुधार के लिए पुलिस प्रशासन करेगा तेज कदम
Chaitanya Baghel Remanded: शराब घोटाला: चैतन्य बघेल की रिमांड 29 अक्टूबर तक बढ़ी, दिवाली जेल में तय
Prime Minister’s Public Health Scheme: आयुष्मान भारत योजना में छत्तीसगढ़ ने मारी बाज़ी, देश में नंबर-1 बना राज्य