नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों से जुड़े मामले को तीन जजों की नई विशेष पीठ को सौंपा है, जो आज इसकी सुनवाई करेगी. इस नई पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया शामिल हैं. इससे पहले, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की दो सदस्यीय पीठ ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए. यह आदेश रेबीज और कुत्तों के काटने की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिया गया था.
बह गईं पुल-सड़कें, हिमाचल में 5 जगहों पर फटे बादल, किन्नौर से कुल्लू तक कुदरत का कहर
हालांकि, यह आदेश पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 और पूर्ववर्ती न्यायिक फैसलों के विपरीत था, जिनमें नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उनके मूल स्थान पर लौटाने की बात कही गई थी. इन फैसलों में पशु कल्याण और मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी गई थी.
एक वकील द्वारा इस विरोधाभास की ओर ध्यान दिलाए जाने के बाद, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने मामले को बड़ी पीठ को सौंपने का निर्णय लिया. अब नई पीठ को इन परस्पर विरोधी आदेशों में संतुलन बनाना होगा और यह तय करना होगा कि आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए अधिकारियों को क्या स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं. सुनवाई में 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाएं भी शामिल होंगी.
जानिए कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें…
- यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने और उन्हें पकड़ने के काम में रुकावट डालता है और इसकी सूचना हमें दी जाती है, तो हम ऐसी किसी भी रुकावट के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे.
- कथित पशु प्रेमी क्या उन बच्चों को वापस ला पाएंगे जो रेबीज के शिकार हो गए? क्या वे उन बच्चों की जिंदगी वापस ला पाएंगे? जब स्थिति की मांग होती है, तो आपको कार्रवाई करनी ही होती है.
- यह एक क्रमिक प्रक्रिया है. भविष्य में आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया जाता है.
- जल्द से जल्द सभी इलाकों, विशेष रूप से शहर के संवेदनशील क्षेत्रों और बाहरी हिस्सों से आवारा कुत्तों को पकड़ना शुरू करें. यह कैसे करना है, यह अधिकारियों को देखना है. इसके लिए यदि उन्हें एक बल बनाना पड़े तो वे इसे जल्द से जल्द करें.
- शहर और बाहरी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त करना ‘सबसे पहला और प्रमुख’ काम है.
- शिशुओं और छोटे बच्चों को किसी भी कीमत पर आवारा कुत्तों से बचाना होगा, जिनके काटने से रेबीज होता है.
- कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए जिससे लोगों, चाहे वे छोटे हों या बड़े, के मन में यह विश्वास पैदा हो कि वे सड़कों पर आवारा कुत्तों के काटने के डर के बिना घूम सकते हैं.
- जो भी कुत्ता किसी भी इलाके से पकड़ा जाए, उसे किसी भी हालत में दोबारा सड़कों/सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ा जाएगा, वरना यह पूरा अभियान व्यर्थ हो जाएगा.



More Stories
ATS/ATF Investigation : विस्फोटक से भरी पिकअप जब्त, सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी
Balrampur Bus-Truck Accident : बलरामपुर ट्रक-बस टक्कर, आग लगने से 3 यात्रियों की मौत, कई घायल
Chennai Metro Suffers Major Technical Fault : टनल में 10 मिनट तक फंसी ट्रेन, यात्रियों में दहशत