रायपुर। भीषण गर्मी की दस्तक के साथ ही प्रदेश के कई जिलों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। इसके बावजूद बोरवेल खनन का कार्य लगातार जारी था, जिससे हालात और बिगड़ सकते थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई जिलों में प्रशासन ने ठोस कदम उठाते हुए अपने क्षेत्रों को जलाभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया है।
पेयजल संकट की आशंका के मद्देनज़र संबंधित कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारियों ने छत्तीसगढ़ पेयजल परिरक्षण अधिनियम, 1986 (क्रमांक-3) 1987 की धारा 03 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए 30 जून 2025 या मानसून आगमन (जो भी बाद में हो) तक यह निर्णय लिया है। इस अवधि में बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के कोई भी व्यक्ति नया नलकूप न तो पीने के पानी के लिए और न ही किसी अन्य कार्य के लिए खनन कर सकेगा।
हालांकि, शासकीय, अर्धशासकीय और नगरीय निकायों को अपने क्षेत्राधिकार में पेयजल हेतु नलकूप खनन की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, परंतु उन्हें भी तय नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, अधिनियम की धारा 06 के तहत अनुमति देने हेतु अधिकृत अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार स्वीकृति देंगे।
नलकूप खनन या उसकी मरम्मत केवल पंजीकृत बोरवेल एजेंसी द्वारा ही की जा सकेगी। किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा बिना अनुमति खनन करने पर अधिनियम के उल्लंघन का दोषी मानते हुए कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बिना अनुमति बोर खनन पर दो गाड़ियाँ जब्त
बिलासपुर जिले में कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर सख्त कार्रवाई की गई है। सकरी तहसील के ग्राम खरकेना में प्रतिबंध के बावजूद बोर खनन करते पाए जाने पर दो बोर गाड़ियाँ जब्त की गईं। कलेक्टर द्वारा जिले को हाल ही में जलाभाव क्षेत्र घोषित किया गया था, और आदेश के तहत केवल सरकारी एजेंसियों को ही बोर खनन की अनुमति है। शिकायत मिलने पर तहसीलदार आकाश गुप्ता मौके पर पहुंचे, जहाँ अनुमति नहीं मिलने पर दोनों गाड़ियाँ जब्त कर हिर्री थाने में खड़ी कर दी गईं। आगे की कार्रवाई छत्तीसगढ़ जल परिरक्षण अधिनियम 1986 के तहत की जा रही है।
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