न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पड़ोसी देश पाकिस्तान को जिस कुशलता से घेरा, उससे तिलमिलाए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने पलटवार करने की कोशिश में खुद को ही वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में स्वीकार कर लिया।
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जयशंकर ने अपने संबोधन में एक बार भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन अपने तीखे शब्दों से पाकिस्तान की ओर स्पष्ट इशारा किया। उन्होंने कहा, “भारत अपनी स्वतंत्रता के बाद से ही एक ऐसे पड़ोसी से इस चुनौती का सामना कर रहा है, जो ‘वैश्विक आतंकवाद का केंद्र’ है। दशकों से बड़े अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी हमलों के तार उसी एक देश से जुड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की नामित आतंकवादियों की सूचियाँ उसके नागरिकों से भरी पड़ी हैं।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि “जो देश आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी बनाते हैं, उन्हें एक दिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”
नाम नहीं लिया, फिर भी पाकिस्तान ने दिया जवाब
जयशंकर के संबोधन के बाद, जहाँ दुनिया भर के राजनयिकों ने तालियाँ बजाईं, वहीं पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने जवाब देने के अधिकार (Right to Reply) का उपयोग करते हुए भारत पर पाकिस्तान को बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाए।
इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के इस ‘जवाब’ को सीमा पार आतंकवाद की सीधी स्वीकृति करार दिया।
भारत का करारा पलटवार: ‘आतंक की पुरानी आदत स्वीकार की’
भारत के प्रतिनिधि ने यूएन में पाकिस्तान के बयान का जवाब देते हुए कहा:
भारत ने साफ किया कि जयशंकर ने किसी देश का नाम नहीं लिया था, लेकिन पाकिस्तान का भड़क कर खुद ही जवाब देना यह साबित करता है कि जयशंकर का ‘बिना नाम वाला तीर’ सीधे निशाने पर लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद पोषित करने वाले चेहरे को एक बार फिर बेनकाब कर दिया है।



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