रायपुर। छत्तीसगढ़ लघु वेतन चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ (पंजीयन क्रमांक 6472) की सक्रियता के चलते चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों को आकस्मिक निधि नियम, कलेक्टर दर और नियमित वेतनमान के वैधानिक लाभ से वंचित किए जाने के गंभीर मामले में विभागीय कार्रवाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई है। यह जानकारी चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संचालनालय अध्यक्ष श्री सुरेश कुमार ढिंढी द्वारा दी गई।
संघ ने 13 अक्टूबर 2025 को विधि एवं विधायी विभाग को विस्तृत ज्ञापन सौंपा था, जिसमें खास तौर पर बस्तर संभाग और बालोद समेत प्रदेश के कई जिलों में नियमों की गलत व्याख्या का मुद्दा उठाया गया था।
संघ के ज्ञापन पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, विधि एवं विधायी कार्य विभाग, छत्तीसगढ़ शासन ने पत्र क्रमांक 2631/21/अ/स्था/2025 दिनांक 05 दिसंबर 2025 के माध्यम से आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
प्रांतीय महामंत्री योगेश चौरे ने 05 दिसंबर को विधि विभाग के अवर सचिव से चर्चा कर कार्रवाई की पुष्टि की। इसके बाद, 10 दिसंबर को योगेश चौरे, सुरेश ढिंढी, और राकेश ठाकुर के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कार्रवाई संबंधी फाइल की प्रति भी उपलब्ध कराई गई।
प्रतिनिधिमंडल ने 10 दिसंबर को मंत्रालय में अवर सचिव श्रीमती सरोजिनी टोप्पो से विस्तृत चर्चा की, जिन्होंने बताया कि विधि विभाग से प्राप्त प्रकरण का विधिक परीक्षण शुरू हो चुका है और आदेश जारी करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। संघ ने विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया है।
इस प्रगति के मद्देनजर, संघ ने कर्मचारियों को स्पष्ट सलाह दी है कि वर्तमान में न्यायालय में याचिका दायर करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि शासन स्तर पर विभागीय प्रक्रिया सक्रिय और प्रगति पर है। संघ ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि वह सुनिश्चित करेगा कि आकस्मिक निधि नियम, नियमित वेतनमान और रतन कश्यप प्रकरण (WPS No. 2603/2022) में उच्च न्यायालय के निर्देश सभी जिलों में एक समान और सही तरीके से लागू हों।



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