CG रायपुर। केरल के तिरुवनंतपुरम में एक मुस्लिम पंचायत सदस्य ने मानवता का अद्भुत उदाहरण पेश किया है। कादिनामकुलम ग्राम पंचायत स्थित बेनेडिक्ट मेनी साइको-सोशल रिहैबिलिटेशन सेंटर में भर्ती छत्तीसगढ़ की 44 वर्षीय राखी का 19 सितंबर को कैंसर से निधन हो गया। अपने जीवन के अंतिम समय में राखी ने यही इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाए।
हालांकि, मानसिक बीमारी से जूझ रही महिला अपने घर या परिवार का पता याद नहीं कर पा रही थीं। इस पर केंद्र की ननें पंचायत सदस्य टी. सफ़ीर से संपर्क किया। सफ़ीर ने मृतक के बेटे की भूमिका निभाते हुए उनकी इच्छा के अनुसार हिंदू रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया।
सफ़ीर ने बताया कि महिला के जीवित रिश्तेदारों को खोजने की कोशिशें असफल रहीं। उन्होंने कहा, “जब कोई अंतिम इच्छा जताता है, तो हमें जो भी हो सके, करना चाहिए। मेरे धर्म ने मुझे हर इंसान के शरीर का सम्मान करना सिखाया है, चाहे वह रिश्तेदार हो या अनजान व्यक्ति।”
सफीर अक्सर अपने वार्ड के सभी धर्मों के लोगों के अंतिम संस्कार और कार्यक्रमों में शामिल रहते हैं और उन्हें हिंदू रस्मों का अनुभव भी है। उन्होंने कज़ाकुट्टम श्मशान घाट के कर्मचारियों से मार्गदर्शन लिया। स्थानीय जमात के इमाम ने भी उनके इस कदम की सराहना की।
सफीर ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया हो। दो हफ्ते पहले भी रिहैबिलिटेशन केंद्र में भर्ती एक अन्य व्यक्ति का अंतिम संस्कार उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया था।
इस तरह, टी. सफ़ीर ने धर्म और मानवता के बीच का संदेश दिया कि संवेदनशीलता और सम्मान किसी भी धर्म की सीमाओं में बंधा नहीं होता।



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