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December 2, 2025

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Maoist Surrender 2026

Maoist Surrender 2026

Maoist Surrender 2026 : 1 जनवरी 2026 को बड़े पैमाने पर नक्सलियों का आत्मसमर्पण संभव, एमएमसी कमेटी से मिले संकेत

Maoist Surrender 2026 : रायपुर, 27 नवंबर 2025। नए साल की शुरुआत देश में एक बड़ा बदलाव लेकर आ सकती है। सूत्रों के अनुसार 1 जनवरी 2026 को महाराष्ट्र–मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ (एमएमसी) संयुक्त कमेटी से जुड़े बड़े माओवादी नेता तथा सदस्य सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण करने की तैयारी में हैं। यह आत्मसमर्पण इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पहली बार तीन राज्यों की कमेटी के नक्सली एक साथ हथियार डालने जा रहे हैं।

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प्रवक्ता अनंत ने जारी किया प्रेस नोट

एमएमसी कमेटी के प्रवक्ता और वरिष्ठ नक्सली नेता अनंत ने हाल ही में दो पन्नों का एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें उन्होंने आत्मसमर्पण की इच्छा स्पष्ट रूप से जताई है। प्रेस नोट में उन्होंने पुलिस और सुरक्षा बलों से 15 फरवरी 2026 तक एनकाउंटर रोकने की अपील भी की है, ताकि माओवादियों को शांतिपूर्ण तरीके से मुख्यधारा में लौटने का अवसर मिल सके।

सामूहिक सरेंडर की अपील

अनंत ने अपने संदेश में कहा कि माओवादी अलग-अलग आत्मसमर्पण करते हैं, जिससे प्रबंधन और सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं। इसलिए उन्होंने अपने अधीन सभी माओवादी संगठनों से आग्रह किया कि वे एक निर्धारित तिथि पर सामूहिक रूप से हथियार डालें। यही कारण है कि 1 जनवरी को एक बड़े घटनाक्रम की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण

प्रवक्ता अनंत ने यह भी संकेत दिया कि किस राज्य में आत्मसमर्पण किया जाएगा, यह संबंधित तीनों राज्यों—महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़—की सरकारों के रुख पर निर्भर करेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जहाँ उन्हें अधिक तवज्जो और सहयोग मिलेगा, वहीं वे हथियार डालना पसंद करेंगे

संपर्क के लिए मोबाइल नंबर जारी

बेहतर तालमेल और समन्वय के लिए एमएमसी कमेटी ने एक मोबाइल नंबर भी साझा किया है, जिससे माओवादी सदस्य सीधे संपर्क कर सकें और आत्मसमर्पण प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकें।

बढ़ सकता है मुख्यधारा में लौटने का रास्ता

यदि 1 जनवरी 2026 को यह सामूहिक आत्मसमर्पण होता है, तो यह गोण्डा, बस्तर तथा एमएमसी क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों को कम करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि होगी। सुरक्षा एजेंसियां भी इस कदम को क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ मान रही हैं।

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