वरिष्ठ पत्रकार संतोष सोनी उर्फ विट्टल के खिलाफ भेजा गया कानूनी नोटिस पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सच उजागर करने के उनके अधिकार पर सीधा हमला प्रतीत होता है। वरिष्ठ अधिवक्ता रवि प्रकाश गर्ग द्वारा यह नोटिस एक समाचार रिपोर्ट को लेकर भेजा गया है, जिसमें रतनपुर पुलिस पर शराब तस्करी मामले में ढिलाई बरतने और लेन-देन की आशंका जताई गई थी। यह रिपोर्ट स्थानीय जनहित और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की भावना से प्रकाशित की गई थी, ना कि किसी की छवि खराब करने के उद्देश्य से।
पत्रकार सोनी वर्षों से निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे हैं और जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते आए हैं। जिस रिपोर्ट को लेकर आपत्ति जताई जा रही है, उसमें पहले से प्रचलित घटनाओं और जनसूचनाओं के आधार पर सवाल उठाए गए हैं, ना कि कोई झूठी या कपोल कल्पित जानकारी दी गई है।
नोटिस में आरोप है कि संतोष सोनी ने झूठी खबर चलाई, जबकि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की बजाय प्रशासन से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की थी। ऐसे में इसे मानहानि की तरह प्रस्तुत करना न केवल पत्रकार की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है, बल्कि इससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले अन्य पत्रकारों को भी डराने की कोशिश मानी जा सकती है।
यह आवश्यक है कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ – पत्रकारिता – को निष्पक्ष रूप से काम करने दिया जाए और जनहित में सवाल पूछने वाले पत्रकारों को कानूनी डर दिखाकर चुप न कराया जाए।
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