सावन माह का आरंभ हो चुका है, यह पूरी महीना भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इसी माह में देवी गौरी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और देवी गौरी को पत्नी रूप में स्वीकारा। साथ ही कहा जाता है कि हर साल देवों के देव महादेव इसी माह अपने ससुराल भी जाते हैं। ऐसे में यह पूरा माह बेहद पवित्र माना जाता है। इस माह का पहला सोमवार और भी खास होता है क्योंकि सोमवार पहले से ही भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इसलिए भक्त इस दिन व्रत और पूजा अनुष्ठान करते हैं।
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सावन में पड़ने वाले हर एक सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव का जलाभिषेक कर बेलपत्र, भांग-धतूरा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाना बेहद फलदायी माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे करनी है पूजा और किन मंत्रों का उच्चारण होगा शुभ फलदायी…
कब-कब है सोमवार?
दृग पंचांग का मानें तो 11 जुलाई से सावन का आरंभ हो चुका है, अब सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा, दूसरा सोमवार 21 जुलाई को है। फिर 28 और इसके बाद 4 अगस्त 2025 को आखिरी सोमवार है। वहीं, सावन का समापन 9 अगस्त को होगा।
कैसे करनी है पूजा?
सोमवार के दिन पहले जातक को सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाना चाहिए, फिर शिव जी की पूजा के लिए मंदिर जाएं या फिर घर में शिवलिंग स्थापित करें। इसके बाद शिवलिंग का जल, दूध-दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद शिव जी को बेलपत्र, सफेद फूल, भांग-धतूरा, आक फूल, अक्षत और भस्म अर्पित करें। फिर मिठाई का भोग लगाएं। याद रहे कि पूजा करते समय कुछ मंत्रों का जप करते रहें।
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पूजन के दौरान जपें ये मंत्र
- ॐ नम: शिवाय
- ॐ शर्वाय नम:
- ॐ विरूपाक्षाय नम:
- ॐ विश्वरूपिणे नम:
- ॐ कपर्दिने नम:
- ॐ भैरवाय नम:
- ॐ शूलपाणये नम:
- ॐ ईशानाय नम:
- ॐ महेश्वराय नम:
- ॐ नमो नीलकण्ठाय
- ॐ पार्वतीपतये नमः
- ॐ पशुपतये नम:
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
- ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
- श्री भगवते साम्बशिवाय नमः
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।



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