नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारत पर भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने निर्यातकों को राहत देने के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश की रणनीति अपनाई थी। इसी क्रम में भारत ने पुराने मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए चीन के साथ आर्थिक रिश्तों को दोबारा मजबूत करने के संकेत दिए। डोकलाम जैसे संवेदनशील मुद्दों को फिलहाल अलग रखते हुए व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया, साथ ही चीनी उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को अपेक्षाकृत खोलने की नीति अपनाई गई।
CG NEWS : छत्तीसगढ़ बीजेपी ने ओबीसी मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित, पदाधिकारियों की सूची जारी
हालांकि, अब सामने आए व्यापारिक आंकड़ों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। आंकड़ों के अनुसार चीन से भारत में आयात तेजी से बढ़ा है, जबकि भारतीय निर्यात अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। इससे भारत-चीन व्यापार घाटा और गहराता नजर आ रहा है, जो घरेलू उद्योग और रोजगार के लिहाज से चुनौती बनता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी उत्पादों की बाढ़ से छोटे और मझोले भारतीय उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है। वहीं सरकार के सामने यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि अमेरिका के टैरिफ से निपटने के लिए अपनाई गई यह रणनीति दीर्घकाल में कितनी कारगर साबित होगी।



More Stories
महुआ मोइत्रा को राहत, CBI चार्जशीट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक
CG News : वर्दी की आड़ में अपराध, असली पुलिस से मुठभेड़ के बाद बड़ा खुलासा
Jawaharlal Nehru : नेहरू के निजी पत्रों का मामला गरमाया, 51 कार्टन लौटाने पर केंद्रीय मंत्री का कांग्रेस पर तीखा हमला