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रायपुर, छत्तीसगढ़: नागरिकता का अधिकार एक व्यक्ति की पहचान और राष्ट्रीयता से जुड़ा मूलभूत पहलू है, और छत्तीसगढ़ राज्य हाल के वर्षों में इस संबंध में एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरा है। पिछले चार सालों में, छत्तीसगढ़ में रह रहे 798 पाकिस्तानी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है, जिनमें से अधिकांश रायपुर में निवास करते हैं। यह आंकड़ा भारतीय समाज में इन विस्थापित व्यक्तियों के एकीकरण की प्रक्रिया को दर्शाता है। इनमें 88 वयस्क शामिल हैं, जिन्होंने भारत को अपना स्थायी घर बनाने का निर्णय लिया है, वहीं 710 नाबालिग बच्चे भी हैं जो अब भारतीय नागरिक बन चुके हैं। इनमें से कई परिवार दशकों से भारत में रह रहे थे, और नागरिकता प्राप्त करने से उन्हें एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य की उम्मीद मिली है।
हालांकि, नागरिकता प्रदान करने की यह प्रक्रिया सिर्फ पुराने मामलों को निपटाने तक सीमित नहीं है। वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में भारतीय नागरिकता के लिए 667 नए आवेदन लंबित हैं, और इन आवेदनों की गहन जांच इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। प्रत्येक आवेदन के लिए विस्तृत पृष्ठभूमि की जांच, जिसमें आवेदक के निवास, वित्तीय स्थिति, और किसी भी आपराधिक रिकॉर्ड का सत्यापन शामिल है, एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नागरिकता केवल योग्य और सत्यापित व्यक्तियों को ही प्रदान की जाए, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को सरकार द्वारा ‘शरणार्थी प्रमाण पत्र’ जारी किए जा रहे हैं। ये प्रमाण पत्र आधार कार्ड और अन्य आवश्यक पहचान दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो उन्हें भारत में बुनियादी सुविधाओं और अधिकारों तक पहुंचने में मदद करते हैं। इसी तरह, बांग्लादेशी शरणार्थियों से भी नागरिकता के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में, छत्तीसगढ़ में 100 से अधिक बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है, जो इस क्षेत्र में शरणार्थी आबादी की विविधता को दर्शाता है।
भारतीय नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, आवेदक को भारत में कम से कम 12 साल के निवास का रिकॉर्ड प्रस्तुत करना अनिवार्य है। हालांकि, कई पाकिस्तानी शरणार्थी 15-20 वर्षों से भारत में रह रहे हैं, और कुछ तो 50-60 वर्षों से भी अधिक समय से यहां हैं। इतने लंबे समय तक के पुराने रिकॉर्ड को सत्यापित करना आईबी के लिए एक बड़ी बाधा है, क्योंकि कई बार आवेदकों के पास सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते हैं। इसके बावजूद, यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी आवेदन उचित प्रक्रिया और गहन जांच के बाद ही आगे बढ़ें।
नागरिकता अधिनियम 2005 में किए गए एक महत्वपूर्ण संशोधन के अनुसार, भारत में विदेशी माता-पिता से जन्मे बच्चे भी भारतीय नागरिकता के हकदार हो सकते हैं, बशर्ते उनके माता-पिता कम से कम सात साल से भारत में रह रहे हों। ऐसे बच्चों को 18 साल का होने के एक साल के भीतर नागरिकता के लिए आवेदन करना होता है, जो उन्हें अपनी पहचान और भविष्य सुरक्षित करने का अवसर देता है।
वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में पाकिस्तानी शरणार्थियों के 1,871 और बांग्लादेशी शरणार्थियों के 1,650 आवेदन लंबित हैं। इनमें से पाकिस्तानी शरणार्थियों के 33 आवेदन अनुमोदन के लिए समीक्षाधीन हैं। आवेदन प्रक्रिया कलेक्टर कार्यालय में शुरू होती है, जहां से उन्हें केंद्र सरकार को आगे की कार्रवाई और अनुमोदन के लिए भेजा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में विस्तृत पुलिस सत्यापन, वित्तीय स्थिति की जांच और अन्य महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल होते हैं। यह दिखाता है कि भारत में नागरिकता प्रदान करने की प्रक्रिया न केवल मानवीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मानकों को भी बनाए रखती है।
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