Chhattisgarh Assembly रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा की आज की कार्यवाही के दौरान हसदेव अरण्य इलाके में खनन के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस गंभीर विषय पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, लेकिन सरकार के जवाब के बाद स्थगन स्वीकार नहीं किए जाने से नाराज विपक्षी विधायक गर्भगृह में पहुंच गए। इस दौरान सदन की कार्यवाही बाधित रही और गर्भगृह में प्रवेश करने वाले विपक्षी विधायक स्वतः निलंबित हो गए।
Chhattisgarh Assembly : हसदेव अरण्य में खनन को लेकर विधानसभा में हंगामा

हंगामे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विधानसभा में पहले ही एक अशासकीय संकल्प पारित किया गया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोई नई खदान नहीं खोली जाएगी। इसके बावजूद जंगलों की बड़े पैमाने पर कटाई की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरगुजा से लेकर बस्तर तक वनों की कटाई जोरों पर है, जो बेहद चिंताजनक है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे को उठाने के लिए विपक्ष ने स्थगन लाया था, लेकिन सरकार की ओर से गलत और भ्रामक जानकारी दी गई। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हसदेव अरण्य जैसे गंभीर पर्यावरणीय विषय पर सवाल पूछने पर मंत्री बस्तर ओलंपिक और गुरु घासीदास अभ्यारण्य की बातें कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कितनी संवेदनहीन है।
भूपेश बघेल ने आगे कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के कारण उड़ानें रद्द करनी पड़ रही हैं, जबकि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। इसके बावजूद यहां कोयला खनन को बढ़ावा देकर राज्य को प्रदूषण की ओर धकेला जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब छत्तीसगढ़ में सोलर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं, तो फिर कोयला उत्खनन पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है।
उन्होंने मानव–हाथी संघर्ष का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जंगलों की कटाई के कारण वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है, जिससे मानव और हाथियों के बीच टकराव बढ़ रहा है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जबकि राज्य को बदले में केवल प्रदूषण मिल रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह स्थिति पूरे छत्तीसगढ़ के लिए आने वाले समय में एक बड़ी त्रासदी साबित हो सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल दो उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है। जहां-जहां खदानें खोली जा रही हैं, वहां ग्राम सभा का आयोजन तक नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि दूर-दराज के गांवों में 15 मिनट में औपचारिकता पूरी कर ग्राम सभा समाप्त कर दी गई, जो आदिवासी अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
भूपेश बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं आदिवासी समुदाय से आते हैं, इसके बावजूद आदिवासी क्षेत्रों में खनन कर वहां की खनिज संपदा की लूट की जा रही है। उन्होंने इसे आदिवासियों के साथ अन्याय बताते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए।




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