One Nation One Election : रायपुर। देश में One Nation One Election (ONOP / एक देश-एक चुनाव) को लेकर हुई ताज़ा चर्चाओं पर, पूर्व राष्ट्रपति Ramnath Kovind ने जोर देते हुए कहा है कि यदि ONOP लागू होता है, तो यह भारत के विकास के लिए “गेम-चेंजर” साबित होगा। उन्होंने कहा कि ONOP लागू होने से हर साल होने वाले राज्य एवं संसदीय चुनावों से जुड़ी प्रशासनिक मशीनरी— जैसे टीचर्स, राज्य कर्मचारी आदि — चुनावी व्यवस्थाओं से मुक्त हो जाएँगे, जिससे शिक्षा और अन्य जनकल्याण-सेवाओं पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वहीं, हालिया विकास में Law Commission of India ने कहा है कि ONOP को लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा कर रही Joint Parliamentary Committee (JPC) को 50% राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि ONOP का कानूनी ढांचा — राज्य-विधानसभाओं की सहमति के बिना — संसद में ही तैयार हो सकता है।
ONOP पर नया मोड़: Law Commission ने दिया अहम सुझाव, राजनाथ कोविंद बोले ‘गेम-चेंजर’
केंद्रीय विधि आयोग ने 28 नवम्बर 2025 को JPC को भेजी अपनी राय में कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों को लागू करने हेतु कम-से-कम 50% राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। इस तरह, सिर्फ संसद द्वारा विधेयक पारित होने के बाद ONOP लागू हो सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद — जो ONOP पर बनी हाई-लेवल कमेटी के चेयरमैन थे — का मानना है कि ONOP लागू होने से देश में संसाधनों की बर्बादी रोकी जा सकेगी। हर साल विभिन्न राज्यों में चुनाव होने से प्रशासन और सरकार की कार्य-प्रणाली प्रभावित होती है। ONOP के तहत, संसदीय और राज्य चुनावों को एक साथ कराने से ये व्यवधान समाप्त होंगे, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास आदि जन-सेवाओं पर सकारात्मक असर होगा। वर्तमान में ONOP से संबंधित दो मुख्य विधेयक — संवैधानिक संशोधन विधेयक 2024 और संघ शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 — संसद में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। इन्हें अब JPC के पास भेजा गया है, जो देशभर के राज्यों एवं दलों से विचार विमर्श कर रही है।
ONOP लागू होने से क्या होंगे फायदे — और किन बातों पर बहस
संभावित फायदे
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संसाधनों और समय की बचत: बार-बार चुनाव के कारण हर बार भारी प्रशासनिक खर्च और समय लगता है; एक साथ चुनाव से यह खर्च और जटिलता कम होगी।
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शासन-कार्य में स्थिरता: बार-बार विधानसभा/संसद भंग नहीं होगी, जिससे सरकार को योजना और विकास कार्यों को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
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चुनावी दबाव में कमी: चुनावी माहौल में अक्सर शिक्षा, रोजगार और संवेदनशील सेवाओं पर असर पड़ता है; ONOP से इन व्यवधानों से बचाव हो सकता है।



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