बिलासपुर। कर्मचारियों के बैंक खातों में दर्ज नामिनी को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी कर्मचारी के बैंक अकाउंट में दर्ज नामिनी सिर्फ खाते का अभिरक्षक होता है, न कि खाते में जमा राशि का वास्तविक मालिक। वास्तविक मालिकाना हक मृतक के वैधानिक वारिसों का ही होगा।
यह मामला एक महिला कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके बैंक अकाउंट में जमा 15 लाख रुपये को लेकर ससुर और दामाद के बीच विवाद से जुड़ा हुआ था। दोनों पक्षों ने इस राशि पर अपना-अपना दावा ठोका था। मामला निचली अदालत से होते हुए हाई कोर्ट तक पहुंचा।
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सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए दामाद की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि नामिनी का उद्देश्य सिर्फ धनराशि को प्राप्त करना भर है, ताकि परिवार को तत्काल सहायता मिल सके, लेकिन यह उसे राशि का मालिकाना हक नहीं देता।
कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून का हवाला देते हुए साफ कहा कि मृतक कर्मचारी की जमा राशि पर हक वैधानिक उत्तराधिकारियों का ही होगा। इस आधार पर अदालत ने ससुर के दावे को सही ठहराया और दामाद के दावे को खारिज कर दिया।



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