Categories

December 2, 2025

वेब न्यूज़ पोर्टल संघर्ष के स्वर

संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है।

Supreme Court : सड़क से न हटाने की मांग तेज, पोस्ट ऑफिस में लगी लंबी कतारें

Supreme Court , नई दिल्ली। देशभर में आवारा कुत्तों को सड़क से हटाने के प्रस्तावों के खिलाफ बड़ा जनसमर्थन सामने आया है। शनिवार, 29 नवंबर को 1,00,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को लेटर पिटीशन भेजकर आवारा कुत्तों को सड़कों से न हटाने की अपील की। यह अभियान अचानक इतना बड़ा हो गया कि महज़ एक दिन में पोस्ट ऑफिस में लोगों की भीड़ लग गई और शाम होते-होते पिटीशन भेजने वालों की संख्या एक लाख से भी ऊपर पहुंच गई।

Raipur Railway Division suicide attempt : रेल मंडल में कर्मचारी ने फिनाइल पीकर की आत्महत्या की कोशिश, अस्पताल में भर्ती—अधिकारियों की अनदेखी बताई वजह

यह पहल animalwrites.in वेबसाइट के माध्यम से संचालित की जा रही है, जिसके जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग इस अभियान में शामिल हो रहे हैं। अभियान से जुड़े आयोजकों के अनुसार, 70 से अधिक जिलों से हजारों लोगों ने इस जनअभियान में हिस्सा लिया, जो पशु अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है।

सुबह 9 बजे से शुरू हुई यह मुहिम शाम तक सोशल मीडिया और स्थानीय समूहों के जरिए वायरल हो गई। लोग पोस्ट ऑफिस में लाइन लगाकर सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजने पहुंचे। इनमें पशु प्रेमी, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, स्वयंसेवी समूहों के सदस्य, बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल थीं।

वेबसाइट पर अभियान की प्रगति को ट्रैक किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि 29 नवंबर की शाम तक 50,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को लेटर भेजने की रसीद animalwrites.in पर अपलोड कर दी थी, जिससे यह स्पष्ट है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

अभियान का मुख्य उद्देश्य

अभियान के आयोजक और समर्थक यह तर्क दे रहे हैं कि आवारा कुत्तों को सड़क से हटाया जाना न केवल पशु अधिकारों के खिलाफ है, बल्कि इससे उनके प्राकृतिक आवास और जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उनका कहना है कि समाधान आवारा कुत्तों को हटाना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और मानवीय तरीके से नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास कार्यक्रमों को मजबूत करना है।

अभियान में शामिल लोगों द्वारा भेजे गए पत्रों में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह मौजूदा दिशा-निर्देशों को लागू करने में राज्यों को मजबूती से निर्देशित करे, ताकि न तो कुत्तों के अधिकारों का उल्लंघन हो और न ही आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़े।

पशु प्रेमियों का बढ़ता जनसमर्थन

इस मुहिम में युवाओं और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की भी बड़ी भूमिका रही है। कई पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन को “देश की सबसे बड़ी पशु अधिकार जनपहल” बताया।

कई जिलों से मिली तस्वीरों में लोग हाथ में पत्र लेकर पोस्ट ऑफिस की कतार में दिखाई दिए। कई समूहों ने सामूहिक रूप से पत्र लिखने और पोस्ट करने का कार्यक्रम भी आयोजित किया।

आगे क्या?

अभियानकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर आए जनसमर्थन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई कर सकता है। पशु अधिकार संगठनों का कहना है कि यह अभियान यह दर्शाता है कि भारत में लोग न सिर्फ मानव अधिकारों, बल्कि पशु अधिकारों के प्रति भी समान संवेदनशील हैं।

फिलहाल लेटर पिटीशन का सिलसिला जारी है और आने वाले दिनों में इसके और भी बढ़ने की संभावना है, जिससे यह देश का एक बड़ा सामाजिक आंदोलन बन सकता है।

About The Author