Sai Sarkar Surrender Policy : रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ साय सरकार की रणनीति तेजी से कारगर हो रही है। पिछले 50 दिनों में 553 नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। सुरक्षा बलों के लगातार दबाव, सटीक इंटेलिजेंस और सरकार की सरेंडर पॉलिसी के कारण नक्सली संगठन की कमर टूटती दिख रही है।बीते दो दिनों में ही 69 इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिन पर कुल 2 करोड़ 8 लाख रुपये का इनाम था। इनमें कई शीर्ष कमांडर और प्लाटून लेवल के सक्रिय नक्सली शामिल थे।
साय सरकार की सरेंडर पॉलिसी कैसे बदल रही तस्वीर?
साय सरकार की नीति नक्सलियों को सुरक्षा, पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन प्रदान करने पर केंद्रित है।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों को मिलती हैं ये सुविधाएँ:
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10,000 रुपये नकद की तत्काल सहायता
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रहने–खाने की व्यवस्था
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पहचान गुप्त रखने के लिए सुरक्षा
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बाद में पुनर्वास पैकेज, घर–रोजगार और शिक्षा की सुविधा
कई युवा नक्सलियों ने बताया कि वे अब अपने बच्चों को स्कूल भेजकर शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं और खेती–मजदूरी के साथ गांव में बसना चाहते हैं। सरकार के मुताबिक, “यह सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि नक्सलवाद की जड़ें हिलने का संकेत है। आने वाले दिनों में और भी बड़े सरेंडर होंगे।”
हिडमा के खात्मे से संगठन पर बड़ा असर
8 नवंबर को CPI (माओवादी) के खतरनाक मिलिट्री कमांडर माड़वी हिडमा को सुरक्षाबलों ने मार गिराया।
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यह PLGA बटालियन-1 का प्रमुख था
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उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था
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उसके नेतृत्व में 155 से अधिक जवानों की हत्या हुई
हिडमा के मारे जाने के बाद सिर्फ कुछ दिनों में
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84 माओवादियों ने कुल 2.56 करोड़ के इनाम के साथ समर्पण किया
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बीजापुर में 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया
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अबूझमाड़ में 28 नक्सली हथियारों के साथ सरेंडर हुए
यह दक्षिण बस्तर में नक्सल संगठन को सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
बस्तर में लौट रही शांति और पहचान
साय सरकार के अनुसार, बस्तर की पहचान सिर्फ नक्सलवाद नहीं है—
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अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य
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जनजातीय संस्कृति
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बस्तर पंडुम जैसे पारंपरिक उत्सव
सरकार बस्तर की इस पहचान को फिर से स्थापित करने के लिए बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम और विकास योजनाएँ लागू कर रही है।



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