गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक ग्रामीण परिवार ने पुश्तैनी जमीन न मिलने पर बड़ा कदम उठाया है। अमलीपदर तहसील के खरीपथरा गांव निवासी मुरहा नागेश ने अपने परिवार के साथ जिला मुख्यालय के गांधी मैदान में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। वह कड़कती ठंड में खुले आसमान के नीचे न्याय की उम्मीद में बैठे हैं। मुरहा नागेश का आरोप है कि वर्षों पुरानी उनकी पुश्तैनी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है और प्रशासन बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
कलेक्टर ने बनाई जांच टीम, 10 अधिकारी गांव भेजे गए
मामले की गंभीरता को देखते हुए गरियाबंद कलेक्टर ने तत्काल एसडीएम, तहसीलदार और राजस्व विभाग के अफसरों की 10 सदस्यीय टीम गठित की है। टीम को खरीपथरा गांव भेजा गया है ताकि मौके पर जाकर जमीन की स्थिति और कब्जे की वास्तविकता की जांच की जा सके। प्रशासन ने कहा है कि बंदोबस्त रिकॉर्ड में सुधार कार्य भी चल रहा है ताकि विवाद का सही समाधान निकल सके।
कई बार कर चुके हैं न्याय की गुहार
मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन — खसरा क्रमांक 1/83, रकबा 2.680 हेक्टेयर — को लेकर कई बार तहसील और जिला प्रशासन में शिकायत की, लेकिन हर बार फाइलें इधर-उधर घूमती रहीं। अगस्त माह में जब उन्होंने पहली बार भूख हड़ताल की थी, तब तहसीलदार ने जांच के बाद उन्हें जमीन पर कब्जा दिलाया था।
एसडीएम ने तहसीलदार का आदेश किया था खारिज
मुरहा ने बताया कि उनके पक्ष में आए तहसीलदार के आदेश के खिलाफ विरोधी पक्ष ने एसडीएम न्यायालय में अपील दायर की। सुनवाई के बाद एसडीएम ने तहसीलदार का आदेश निरस्त कर दिया। इसके बाद फिर से जमीन पर विवाद बढ़ गया और विरोधी पक्ष ने कब्जा करने की कोशिश की। अब मुरहा नागेश का कहना है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वह आत्महत्या करने पर मजबूर होंगे।



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