Categories

November 27, 2025

वेब न्यूज़ पोर्टल संघर्ष के स्वर

संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है।

Plane crash shock

Plane crash shock

Plane crash shock: एअर इंडिया हादसा: एकमात्र जीवित बचे रमेश की हृदयविदारक कहानी

Plane crash shock नई दिल्ली: अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे के एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वासकुमार रमेश ने अपनी आपबीती साझा की है। जिस हादसे में उनके सगे भाई सहित विमान में सवार 241 लोगों की जान चली गई, उसमें चमत्कारिक ढंग से बचने के बावजूद, ब्रिटिश नागरिक विश्वासकुमार का जीवन अब मानसिक पीड़ा से भर गया है।

ISRO: श्रीहरिकोटा से उड़ा भारत का बाहुबली रॉकेट, ISRO का नया रिकॉर्ड दर्ज

हादसे के बाद बदल गया जीवन

हाल ही में एक इंटरव्यू में विश्वासकुमार रमेश ने बताया कि वह पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से जूझ रहे हैं, जिसने उनके निजी और व्यावसायिक जीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है।

  • एकांत पसंद: रमेश ने कहा, “मैं अब किसी से बात करना पसंद नहीं करता। मैं अपने कमरे में बस अकेला बैठा रहता हूं… अपनी पत्नी या बेटे से भी बात नहीं करता।”
  • मानसिक संघर्ष: उन्होंने बताया कि वह रात भर सोचते रहते हैं और हर दिन दर्द से गुजरते हैं। उनकी मां भी दरवाजे के बाहर अकेली बैठी रहती हैं और किसी से बात नहीं करतीं। यह मानसिक और शारीरिक पीड़ा पूरे परिवार के लिए असहनीय हो गई है।
  • भाई को खोने का गम: आंखों में आंसू लिए उन्होंने कहा, “मैं अकेला जिंदा बचा हूं, अब भी यकीन नहीं होता। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। मेरा भाई अजय मेरी रीढ़ था, उसने हमेशा मेरा साथ दिया, और अब मैं बिल्कुल अकेला हूं।”
  • Chhattisgarh Naxalism : पखांजूर में नक्सल कमांडर का सरेंडर, बोले – अब समय आत्ममंथन का है, हिंसा छोड़ें साथी

शारीरिक चोट और आर्थिक संकट

सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, रमेश शारीरिक चोटों और आर्थिक संकट से भी जूझ रहे हैं। हादसे के दौरान सीट 11A से विमान के टूटे हिस्से से बाहर निकलने की कोशिश में उन्हें गंभीर चोटें आईं।

  • उन्हें पैर, कंधे, घुटने और पीठ में गंभीर चोटें आई हैं।
  • व्यवसाय ठप: शारीरिक पीड़ा के कारण वह अब न तो काम कर पा रहे हैं और न ही गाड़ी चला पा रहे हैं, जिसके कारण उनका पारिवारिक व्यवसाय भी ठप पड़ गया है।
  • रमेश ने बताया कि जब वह ठीक से चल भी नहीं पाते, तो उनकी पत्नी सहारा देकर मदद करती हैं।

समुदाय के नेताओं ने विश्वासकुमार और उनके परिवार को मिल रहे समर्थन की कमी पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि जिन लोगों पर पीड़ितों को सहायता देने की जिम्मेदारी है, उन्हें पीड़ितों से मिलकर उनकी बातें सुननी चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए।

About The Author