Categories

October 14, 2025

वेब न्यूज़ पोर्टल संघर्ष के स्वर

संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है।

Mankeshwari Devi Temple : देवी का अवतरण! शरद पूर्णिमा पर बैगा ने किया रक्तपान, रायगढ़ की 5 सदियों पुरानी रीति

रायगढ़/छत्तीसगढ़: जिले के सुप्रसिद्ध मानकेश्वरी देवी मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर एक अद्वितीय और सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया। यहाँ के स्थानीय बैगा (पुजारी) ने बकरे की बलि देने के बाद उसका रक्तपान किया। यह अनुष्ठान देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में एकत्रित हुए।

Registrar Appointment Order: कृषि शिक्षा में नया अध्याय, छत्तीसगढ़ में कुलसचिवों की नियुक्ति का आदेश जारी

क्या है यह अनोखी आस्था?

स्थानीय श्रद्धालुओं का दृढ़ विश्वास है कि शरद पूर्णिमा की रात को देवी मानकेश्वरी स्वयं बैगा के शरीर में अवतरित होती हैं। इसी दौरान, देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि पूजा का आयोजन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, बैगा के शरीर में आई देवी ही बलि दिए गए बकरों का रक्त पीती हैं।

यह परंपरा करीब 500 वर्षों से लगातार चली आ रही है, जो क्षेत्र की गहरी धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।

पूजा का विशेष विधान

  • बलि पूजा से पहले, बैगा को राजपरिवार की ओर से एक अंगूठी पहनाई जाती है।
  • कहा जाता है कि जैसे ही बलि पूजा संपन्न होती है और देवी का वास बैगा के शरीर में होता है, वह ढीली अंगूठी कसकर उंगली में फिट हो जाती है। यह इस बात का प्रतीक माना जाता है कि माता का अवतरण हो चुका है।
  • इसके बाद, श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक बैगा के पैर धोते हैं और उनके सिर पर दूध अर्पित कर उनकी पूजा करते हैं।

यह दृश्य जहां कुछ लोगों के लिए आस्था और चमत्कार का विषय है, वहीं सदियों पुरानी इस परंपरा पर धार्मिक और सामाजिक चर्चाएं भी होती रहती हैं। बावजूद इसके, स्थानीय लोगों के लिए यह अनुष्ठान उनकी अटूट भक्ति का प्रमाण है।

About The Author