मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं के बीच दो नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में हैं: रायपुर दक्षिण से विधायक पुरंदर मिश्रा और पंडरिया से विधायक भावना बोहरा छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों अटकलों का बाज़ार गर्म है। । इन दोनों ही विधायकों को लेकर यह प्रबल संभावनाएं जताई जा रही हैं कि उन्हें जल्द ही कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। यह अटकलें इसलिए भी तेज़ हो गई हैं क्योंकि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद एक मंत्री पद खाली है, और राज्य में दो मंत्री पद खाली हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के सामने क्षेत्रीय, जातिगत और सामाजिक समीकरणों को साधने की चुनौती है, जिसमें ये दोनों नाम फिट बैठते नज़र आ रहे हैं।
पुरंदर मिश्रा: अनुभव और हिंदुत्व का चेहरा
रायपुर दक्षिण से विधायक पुरंदर मिश्रा को मंत्री पद का एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है। उनके पक्ष में कई महत्वपूर्ण कारण हैं। सबसे पहले, उनका लंबा राजनीतिक और सामाजिक अनुभव। वे लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं और उनका हिंदुत्ववादी चेहरा जगजाहिर है। हाल ही में धर्मांतरण के मुद्दे पर उनका मुखर बयान और ‘जगन्नाथ सेना’ नामक संगठन का गठन इस बात का प्रमाण है कि वे पार्टी की मूल विचारधारा के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। भाजपा आलाकमान हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर नेताओं को प्रोत्साहित करती रही है, और पुरंदर मिश्रा इस कसौटी पर खरे उतरते हैं।
दूसरे, पुरंदर मिश्रा का विधानसभा क्षेत्र रायपुर दक्षिण, जहां से उन्होंने पहली बार चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक धाक जमाई है। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है, और एक नए चेहरे के तौर पर उनकी जीत को पार्टी एक बड़ी उपलब्धि मानती है। कैबिनेट में रायपुर शहर से एक और प्रतिनिधित्व देना भी एक रणनीतिक कदम हो सकता है, क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल के जाने के बाद यह पद खाली हुआ है। हालांकि, पुरंदर मिश्रा ने रायपुर नगर उत्तर विधानसभा से जीत हासिल की है, लेकिन रायपुर शहर में उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत है।
भावना बोहरा: युवा, महिला और उत्कृष्ट विधायक का सम्मान
पंडरिया विधायक भावना बोहरा भी कैबिनेट मंत्री की दौड़ में एक सशक्त उम्मीदवार हैं। उनके नाम पर विचार किए जाने के पीछे भी कई ठोस कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है कि वे एक युवा, महिला और सक्रिय नेता हैं, जो भाजपा की नई पीढ़ी के नेतृत्व को बढ़ावा देने की नीति के अनुकूल है। पंडरिया विधानसभा सीट से उन्होंने 2023 के चुनाव में जीत हासिल की, जो 2018 में भाजपा के हाथ से निकल गई थी। उनकी जीत ने पार्टी को इस महत्वपूर्ण सीट पर दोबारा कब्जा दिलाने में मदद की।
हाल ही में उन्हें ‘उत्कृष्ट विधायक’ का सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके राजनीतिक कद को और ऊँचा करता है। विधानसभा सत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी, जनता से जुड़े मुद्दों को मुखरता से उठाना और संसदीय प्रक्रियाओं की उनकी समझ ने उन्हें इस सम्मान का पात्र बनाया है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष समेत सभी ने उनकी तारीफ की है। यह सम्मान इस बात का संकेत है कि पार्टी और सरकार दोनों ही उनके काम से संतुष्ट हैं। इसके अलावा, भावना बोहरा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री भी रही हैं, जिससे उन्हें महिला प्रतिनिधित्व के तौर पर देखा जा सकता है। उनकी समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी रुचि भी उनके राजनीतिक व्यक्तित्व को मजबूत बनाती है।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों की अहमियत
मंत्रिमंडल विस्तार में केवल व्यक्तिगत योग्यता ही नहीं, बल्कि जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी महत्वपूर्ण होते हैं। पुरंदर मिश्रा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जबकि भावना बोहरा भी इसी समुदाय से हैं। छत्तीसगढ़ में ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से हटने के बाद, यह समुदाय पार्टी से एक नया प्रतिनिधित्व चाहेगा।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, पुरंदर मिश्रा और भावना बोहरा दोनों ही मंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। पुरंदर मिश्रा का अनुभव, हिंदुत्ववादी छवि और रायपुर में मजबूत पकड़ उनके पक्ष में हैं, जबकि भावना बोहरा की युवा छवि, महिला प्रतिनिधित्व, उत्कृष्ट विधायक का सम्मान और पंडरिया में उनकी जीत उनके पक्ष में हैं। अंतिम निर्णय भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा, जो सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित और रणनीतिक फैसला लेगा। फिलहाल, छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस जारी है कि इन दो नामों में से किसका नाम कैबिनेट की अंतिम सूची में शामिल होता है।
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