रायपुर/नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को आतंकवाद विरोधी अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल संचालन के लिए बधाई दी तथा प्रधानमंत्री को आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत चल रही प्रमुख आवासीय और शहरी विकास योजनाओं की प्रगति की जानकारी दी। साथ ही छत्तीसगढ़ की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत चर्चा की।
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केन्द्रीय मंत्री साहू ने प्रधानमंत्री को बताया कि देश भर में अराजक शहरी विस्तार (अर्बन स्प्रॉल) एक गंभीर चुनौती बन चुका है। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि निजी कारों पर निर्भरता को कम करने और मिश्रित-प्रयोजन विकास (जहां आवासीय, वाणिज्यिक और सार्वजनिक उपयोग के स्थान एक साथ हों) को बढ़ावा देकर इस विस्तार पर अंकुश लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, हमारा ध्यान जन-परिवहन उन्मुख विकास (ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट) पर है, जिसमें आवासीय, वाणिज्यिक और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का समावेश होता है। इससे निजी वाहनों की निर्भरता कम होती है। विभिन्न शोधों से स्पष्ट है कि इस प्रकार की योजना से कार उपयोग में 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है, जिससे शहरी भीड़ घटेगी और सतत शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
बैठक में प्रधानमंत्री ‘सूर्य गृह मुफ्त बिजली योजना’ को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएम-आवास) से जोड़ने के विषय पर भी चर्चा हुई। साहू ने प्रस्ताव रखा कि इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली निःशुल्क बिजली को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित सभी घरों में लागू किया जाए। इससे बिजली के वितरण की लागत घटेगी, टिकाऊ शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा और लाभार्थी ऊर्जा दक्ष घरों में निवास कर सकेंगे। साथ ही, सरकारी सब्सिडी युक्त लघु ऋणों तक उनकी पहुंच सुगम हो सकेगी जिससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।
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साहू ने प्रधानमंत्री को छत्तीसगढ़ राज्य की जमीनी स्थिति और क्षेत्रीय चुनौतियों से भी अवगत कराया। उन्होंने सामाजिक-आर्थिक विकास, शहरी योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य सरकार की भूमिका और जटिल भूमि विवादों पर चर्चा की।
विशेष रूप से बड़े झाड़ का जंगल से लगे क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि, वहां की बस्तियों में लोग दो से तीन पीढ़ियों से निवासरत हैं, लेकिन उन्हें वैध स्वामित्व नहीं मिल पा रहा है। इससे वे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं और अतिक्रमी माने जाने के कारण बेदखली का खतरा बना रहता है। ये क्षेत्र जल, बिजली, और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं क्योंकि उनका दर्जा अभी भी वन क्षेत्र का है और इसलिए शहरी योजनाओं में उन्हें प्राथमिकता नहीं मिलती। छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में ऐसे भूमि विवाद सामाजिक तनाव का कारण बनते हैं।
साहू ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 में हाल ही में किए गए संशोधन अब इन निवासियों को कानूनी स्वामित्व दिलाने में सहायक होंगे, जिससे वे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ले सकेंगे। उन्होंने गैर-महत्वपूर्ण वन भूमि के प्रबंधन, दस्तावेज प्रक्रिया को सरल बनाने, और पूरक वृक्षारोपण जैसी रणनीतियों के माध्यम से वन विभाग एवं शहरी विकास एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में विचारों का रचनात्मक आदान-प्रदान हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री ने सभी विषयों पर मार्गदर्शन दिया और आवास तथा शहरी बुनियादी ढांचे के सतत विकास में केंद्र की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, सरकार का उद्देश्य शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी नागरिक पीछे न छूटे।
केन्द्रीय मंत्री साहू ने प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता, समावेशी विकास की प्रतिबद्धता, और सबका साथ, सबका विकास के मूल मंत्र को चरितार्थ करने के प्रति आभार प्रकट किया, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत की प्रगति का लाभ हर वर्ग तक पहुंचे।
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