रायपुर – राजधानी को झकझोर देने वाले सूटकेस हत्याकांड में एक मार्मिक और मानवीय पहलू सामने आया है। हत्या का शिकार बने किशोर पैकरा का अंतिम संस्कार डीडी नगर थाना पुलिस की निगरानी में हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि मृतक के निकट संबंधियों में से कोई भी अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आया, जिससे पूरा दायित्व प्रशासन और पुलिस के कंधों पर आ गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, किशोर पैकरा की पहली पत्नी की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, वहीं दूसरी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी। उसकी कोई संतान नहीं थी। उसके परिवार में केवल एक बहन है, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ बताई जा रही है। वहीं, एकमात्र भांजे ने शव लेने से इनकार कर दिया।
ऐसे हालात में डीडी नगर थाना पुलिस ने न केवल पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कराई, बल्कि शव का धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार भी सुनिश्चित कराया। यह घटना जहां एक ओर अपराध की बर्बरता को उजागर करती है, वहीं यह भी दिखाती है कि आधुनिक समाज में अकेलेपन और उपेक्षा की समस्या कितनी गहरी है। किशोर पैकरा की त्रासदीपूर्ण मौत और अंतिम यात्रा दोनों ही सामाजिक विडंबना को दर्शाते हैं।
पुलिस की यह संवेदनशील और मानवीय पहल न केवल कानून व्यवस्था की कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कभी-कभी समाज की जिम्मेदारियां पुलिस को उठानी पड़ती हैं, जहाँ रिश्ते साथ नहीं देते, वहाँ इंसानियत हाथ बढ़ाती है। यह पहल मानवता का एक उदाहरण बनकर सामने आई है, जिसकी प्रशंसा हर ओर हो रही है। रायपुर पुलिस ने यह दिखा दिया कि इंसाफ केवल आरोपियों को पकड़ने में नहीं, बल्कि मृतकों को सम्मान देने में भी है।



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